
Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली (Tika Ram Jully) ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDPA) के प्रावधानों को सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) के लिए गंभीर खतरा बताते हुए गहरी चिंता जताई है. उन्होंने इस विषय को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री को पत्र लिखते हुए धारा 44(3) को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की है.
कांग्रेस सरकार में हुआ था लागू
जूली ने एक्स पर लेटर की कॉपी शेयर करते हुए स्पष्ट कहा कि DPDPA के तहत RTI कानून की आत्मा पर आघात हो रहा है. यह वही ऐतिहासिक कानून है जिसे 2005 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की पहल पर लागू किया गया था. यह कानून नागरिकों को शासन से सवाल पूछने और जवाबदेही सुनिश्चित करने का संवैधानिक अधिकार देता है.
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDPA) के माध्यम से सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) को कमजोर किया जा रहा है, जो लोकतंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए एक बड़ा खतरा है। इस विषय को लेकर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जी को… pic.twitter.com/S8AWzyBvvk
— Tika Ram Jully (@TikaRamJullyINC) July 22, 2025
खोखली हो रहीं सुशासन की जड़ें
जूली ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार RTI जैसे मजबूत कानून को धीरे-धीरे कमजोर कर पारदर्शिता और सुशासन की जड़ों को खोखला कर रही है. DPDPA की धारा 44(3) नागरिकों की सूचना तक पहुंच को बाधित करती है, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलने की आशंका है. उनका मानना है कि यह प्रावधान न केवल लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों को ठेस पहुंचाता है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के भी खिलाफ जाता है.
देश के 150 सांसदों ने लिखा पत्र
उन्होंने यह भी बताया कि इस मुद्दे को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के करीब 150 सांसदों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं. जूली ने दो टूक कहा, 'सूचना का अधिकार कोई साधारण कानून नहीं है, यह लोकतंत्र की रीढ़ है. इसे कमजोर करना यानी लोकतंत्र को कमजोर करना, जो किसी भी संवैधानिक राष्ट्र के लिए स्वीकार्य नहीं हो सकता.'
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