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नहीं रहे भाजपा के कद्दावर नेता कैलाश भंसाली, 2 बार रहे विधायक, काका के नाम से पुकारते थे लोग

आज कैलाश भंसाली हमारे बीच नहीं रहे लेकिन वे अपने उच्च आदर्शों, सादगी पूर्ण व्यवहार, और सरल व्यक्तित्व की वजह से सदैव लोगों के दिलों में रहेगें और उन्हें सदैव स्मरण किया जाता रहेगा.

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नहीं रहे भाजपा के कद्दावर नेता कैलाश भंसाली, 2 बार रहे विधायक, काका के नाम से पुकारते थे लोग
जोधपुर:

Rajasthan Assembly Election 2023: आज गुरुवार की अलसुबह दिनांक 16 नवम्बर को पूर्व विधायक कैलाश भंसाली का 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. यह सम्पूर्ण मारवाड़ के साथ-साथ जोधपुर के लिये एक अपूरणीय क्षति है. स्वर्गीय कैलाश भंसाली पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और उनका उपचार घर पर ही चल रहा था.

उनका शुरूआती जीवन 

कैलाश भंसाली जीवनपर्यन्त सामाजिक सेवा में लीन रहे. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कॉलेज के दिनों से ही कर दी थी. वे 1958 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य बने फिर वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य रहे. साल 1961 में एसएमके कॉलेज जोधपुर के छात्र संघ के सचिव बने. फिर वह 1964 में वे जोधपुर विश्वविद्यालय के छात्र संघ के महासचिव बने. साथ ही वर्ष 1977-78 तक वे जनता पार्टी जोधपुर के जिला सचिव भी रहे. और फिर 2005 में, वह राजस्थान भाजपा की राज्य इकाई के कोषाध्यक्ष बने.

2008 में लड़ा पहला विधानसभा चुनाव 

वह 1960 से जोधपुर के सभी सार्वजनिक चुनावों में शामिल रहे हैं. और 2008 के राजस्थान राज्य विधानसभा चुनाव में पहली बार सक्रिय राजनीति से जुड़ कर उन्होंने शहर विधानसभा से भाजपा का प्रत्याशी बन कर चुनाव लड़ा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के श्री जुगल काबरा को 8,500 से अधिक मतों से हरा कर पहली बार विधायक बने.

2013 के विधानसभा चुनावों में फिर जीत दर्ज की 

2013 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में फिर उन्हें जोधपुर शहर विधानसभा से भाजपा का प्रत्याशी बनाया गया और उन्होंने फिर एक बार अपने विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी श्री सुपारस भंडारी को 14,500 से अधिक मतों से हराया. 

राजस्थान में प्राकृतिक आपदा के दौरान उनके योगदान के लिए तात्कालीन भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने 1992 में कैलाश भंसाली को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था.

इस तरह से वह लगातार 10 वर्षो तक सक्रिय राजनीति से जुड़े रहे. वह अपनी सहजता और सरलता से जनता के बीच काफी लोकप्रिय हो चुके थे. वे हमेशा विवादों से दूर रहे और उनका राजनीतिक जीवन सफल रहा. वर्ष 2018 में विधानसभा चुनावों में उनकी जगह उनके भतीजे अतुल भंसाली को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन अतुल भंसाली को हार का सामना करना पड़ा था.

विभिन्न व्यापार संस्थाओं के अध्यक्ष /सदस्य रहे 

पेशे के तौर पर कैलाश भंसाली आईसीएआई के जोधपुर चैप्टर के सक्रिय सदस्य रहे थे. वह कई वर्षों तक जोधपुर चैप्टर के अध्यक्ष भी रहे हैं. उन्होंने मारवाड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, टैक्स बार एसोसिएशन, जोधपुर में वरिष्ठ पदों पर भी कार्य किया था. राजस्थान कर सलाहकार संगठन, राजस्थान लेखाकार संघ, फिक्की की कराधान समिति आदि, में वह यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के नामांकित व्यक्ति के रूप में विभिन्न कंपनियों में निदेशक भी रहे थे. उन्होंने जोधपुर शहर में वकालत की प्रैक्टिस भी की थी.

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित 

राजस्थान में प्राकृतिक आपदा के दौरान उनके योगदान के लिए तात्कालीन भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने 1992 में कैलाश भंसाली को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था. उस वक़्त उन्होंने पूरे जोधपुर को गर्व का अहसास कराया था. वे अपने पीछे भरा-पूरा सम्पन्न और आदर्श परिवार छोड़ गये है. उनके दो पुत्र और एक पुत्री है.

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