
राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही के दौरान आज (3 सितंबर) स्मार्ट मीटर योजना पर जोरदार हंगामा हुआ. प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायकों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए करीब 25 मिनट तक नारेबाजी की, और वेल में आकर विरोध दर्ज कराया. यह सवाल कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने लगाया था. लेकिन उनकी अनुपस्थिति में विधायक रोहित बोहरा ने इसे उठाया. स्मार्ट मीटर के मामले पर हंगामे में आगे रही कांग्रेस की यूथ ब्रिगेड. सबसे पहले सदन के वेल में मनीष यादव पहुंचे. बाद में दूसरे विधायक भी पहुंचे वेल में पहुंचे.
कांग्रेस ने सदन से किया वॉकआउट
हंगामे के बीच स्मार्ट मीटर पर 295 भी छूट गया. हंगामे के बाद कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट कर दिया. मनीष यादव बोले कि यह स्मार्ट मीटर नहीं, बल्कि स्मार्ट लूट है. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने तंज कसते हुए कहा कि स्मार्ट मीटर ऐसे हैं कि बिजली आने से पहले ही करंट आ जाता है. ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए सदन में कांग्रेस राज में जारी आदेश की प्रति लहराई और कहा कि योजना की शुरुआत पूर्ववर्ती सरकार ने ही की थी. विपक्ष ने इसको लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की.
"बिजली आपूर्ति प्रणाली को पारदर्शी बनाना है"
NDTV से बातचीत में ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने सभी आरोपों को खारिज किया. उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर योजना की शुरुआत कांग्रेस सरकार के समय में ही की गई थी, और इसका मकसद राजस्थान की बिजली आपूर्ति प्रणाली को आधुनिक और पारदर्शी बनाना है. मंत्री नागर ने स्पष्ट किया कि फिलहाल योजना के तहत केवल सरकारी कार्यालयों में काम किया गया है और इसे आगे भी सुचारु रूप से लागू किया जाएगा.
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि योजना को बंद करने का कोई सवाल ही नहीं है. कांग्रेस केवल बेवजह आरोप लगा रही है जबकि असल उद्देश्य यह है कि राजस्थान में बिजली आपूर्ति डिमांड और खपत की पूरी व्यवस्था को ऑनलाइन और पारदर्शी किया जा सके.
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