
Student Union Election: पिछले दो वर्षों से राजस्थान के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए हैं. चुनाव की माँग को लेकर प्रदेश भर में स्टूडेंट्स का आंदोलन तेज हो रहा है. जयपुर के राजस्थान विश्वविद्यालय से लेकर कोटा जोधपुर सहित सभी प्रमुख विश्वविद्यालयों में अलग अलग तरीक़े से सभी छात्र संगठन चुनाव बहाली की माँग में जुटे हैं.
2023 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इन पर रोक लगा दी थी. तर्क दिया गया कि छात्रसंघ चुनावों में बेतहाशा पैसा खर्च हो रहा है लिंगदोह समिति के नियमों का उल्लंघन हो रहा है और विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा और अराजकता फैल रही है. उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि ये चुनाव अब विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तरह महंगे और अनुशासनहीन हो गए हैं. कई कुलपतियों ने भी चुनावों को लेकर सुरक्षा और शांति बनाए रखने की चिंता जताई थी.
हालांकि अब खुद अशोक गहलोत इन चुनावों की बहाली का समर्थन कर रहे हैं. विपक्षी भाजपा ने कांग्रेस पर छात्रों से लोकतांत्रिक अधिकार छीनने का आरोप लगाया था. लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद भी चुनाव बहाल नहीं हुए जिससे छात्रों में नाराजगी बढ़ी है.
15 विश्वविद्यालयों में चुनाव लंबित
राजस्थान सरकार के आदेश से राज्य के सभी राजकीय विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव नहीं हो पा रहे हैं. राजस्थान विश्वविद्यालय (जयपुर), जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (जोधपुर), मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (उदयपुर), महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (अजमेर), पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय (सीकर), वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (कोटा), महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय (बीकानेर), महाराजा सूरजमल ब्रज विश्वविद्यालय (भरतपुर), राजर्षि भतृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय (अलवर), हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (जयपुर), डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय (जयपुर), गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय (बांसवाड़ा), एमबीएम विश्वविद्यालय (जोधपुर) और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (जोधपुर) शामिल हैं.
इन 15 सरकारी विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त इनके अधीन 50 से अधिक सरकारी तथा 300 से अधिक निजी महाविद्यालयों में भी 2023-24 सत्र में चुनाव नहीं हुए हैं.
वर्ष 2024 में भी उच्च शिक्षा विभाग ने छात्रसंघ चुनाव का शेड्यूल तो जारी किया था लेकिन फिर नोटिफिकेशन नहीं निकाला. उच्च न्यायालय ने भी छात्र नेताओं की याचिकाएँ खारिज कर दी हैं . कुल मिलाकर अब तक न तो किसी विश्वविद्यालय ने स्वतः ही चुनाव कराने का निर्णय लिया है और न ही सरकार ने बहाली के लिए ठोस कार्रवाई की है. छात्र संगठन निरंतर मांग करते रहे हैं कि चुनाव तिथि घोषित की जाए लेकिन सरकार ने 2025 में भी इसे टाल दिया है.

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छात्र संगठनों का विरोध
इस बार छात्र संगठन नेताओं ने रोक के खिलाफ जोरदार विरोध किया है. कांग्रेस और BJP दोनों के छात्र संगठन सक्रिय हैं. NSUI के नेता अभिषेक चौधरी, शुभम रेवाड़ा और आलोक वर्मा ने आंदोलन किया. वहीं ABVP के कार्यकर्ता जैसे मनु दाधीच और भारत भूषण यादव भी चुनाव बहाली की मांग में शामिल हुए.
जोधपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने छात्र चेतना यात्रा के तहत खुद को भगवान, गांधी, रानी लक्ष्मीबाई के रूप में वेश धरकर जिला कलेक्टर कार्यालय तक शांतिपूर्वक पैदल रैली निकाली और ज्ञापन सौंपा .
इसी तरह जयपुर में प्रदर्शनकारियों ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सांसद हनुमान बेनीवाल समेत कई नेताओं के कट-आउट लगाकर रैली निकाली. कुछ छात्रों ने लोकतंत्र की विदाई का प्रदर्शन भी किया. एक पुरानी एंबेसडर कार पर बैठकर शासन-प्रशासन को रेखांकित किया गया कि छात्रसंघ चुनाव बंद करने से लोकतंत्र कमजोर होता है.
कुछ स्टूडेंट ने जल समाधि के ज़रिए विरोध प्रदर्शन किया. इन आंदोलनों में छात्र नेताओं ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव युवा नेताओं को विकसित करने की पहली सीढ़ी हैं और रोक लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ है .
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से तुरंत चुनाव बहाली की अपील की. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई नेताओं ने सरकार से चुनाव करवाने की मांग की है.

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गहलोत सरकार में हुआ था रोक का फैसला
दरअसल राजस्थान सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने अगस्त 2023 में आदेश जारी कर राज्य के सभी कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में सत्र 2023-24 में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया था. यह निर्णय 12 अगस्त 2023 को उच्च शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय बैठक में सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की सलाह पर लिया गया जिसमें उन्होंने नए शैक्षिक सत्र में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू करने, प्रवेश और परीक्षा-परिणाम प्रक्रिया सहित प्रशासनिक कार्यों की व्यस्तता का हवाला देते हुए चुनाव स्थगित करने की सिफारिश की.
उसी रात शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया जिसमें 400 सरकारी और 500 से अधिक निजी कॉलेजों के साथ-साथ प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में चुनाव पर रोक लगाई गई . राजस्थान उच्च न्यायालय में भी एक जनहित याचिका दायर हुई थी जिसमें छात्र नेताओं ने चुनाव रोक हटाने की मांग की थी लेकिन याचिकाकर्ता के वापस लेने पर हाईकोर्ट ने इसे 19 अगस्त 2023 को खारिज कर दिया.

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सरकार की दलील
सरकार ने चुनाव स्थगित करने के कई औपचारिक कारण बताए थे. अधिकारियों का तर्क है कि छात्रसंघ चुनावों में अत्यधिक धनबल और बाहुबल का प्रयोग होता रहा है और चुनाव में लिंगदोह समिति की सीमित खर्च की शर्तें उल्लंघन होती हैं . उच्च शिक्षा विभाग के आदेश में भी उल्लेख है कि कुलपतियों ने बताया कि इन चुनावों में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं जिससे पढ़ाई प्रभावित होती है और सेमेस्टर प्रणाली लागू करने में बाधा आती है .
इसके अलावा कॉलेजों–विश्वविद्यालयों में दाखिले और परीक्षा परिणाम की प्रक्रिया भी जारी है जिससे प्रशासनिक कामकाज में तकनीकी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं. इसीलिए चुनाव स्थगित किए गए. सरकार ने यह भी कहा कि छात्र राजनीति अब विधानसभा या लोकसभा चुनावों जैसी हो गई है जहाँ अभेद्य धनबल और बाहुबल का उपयोग होता है और नियमों की धज्जियाँ उड़ती हैं.
विद्यार्थी संगठनों का कहना है कि ये औपचारिक कारण केवल बहाना हैं और मुख्य वजह पिछले चुनावों में NSUI की हार तथा राजनीतिक माहौल बना लेना हो सकती है. कुछ छात्रों ने बताया गया है कि वर्ष 2022 के छात्रों संघ चुनाव में कांग्रेस छात्र संगठन NSUI कमजोर रहा और बीजेपी समर्थित ABVP ने कई विश्वविद्यालयों में सफलता पाई थी जिससे सरकार सतर्क हुई और चुनाव को रद्द करने का निर्णय लिया गया.
दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में छात्रसंघ चुनाव हाल के वर्षों में फिर से हो रहे हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव की प्रक्रिया में सुधार हेतु शर्तें लगाई हैं, लेकिन 2024-25 के चुनाव कराए गए और नवंबर 2024 में मतगणना हुई.
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