Health News: रोजमर्रा की भागदौड़ में एसिडिटी की समस्या कई लोगों को परेशान करती है. इसके आम लक्षण सीने में जलन, पेट की जलन, खट्टी डकार आना, जी मिचलाना और खाना खाने के बाद पेट भारी लगना, ये सभी एसिडिटी के संकेत हैं.
आयुर्वेद का सुरक्षित इलाज
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, आयुर्वेद में एसिडिटी का आसान समाधान है. सौंफ और मिश्री का मिश्रण न सिर्फ जलन शांत करता है बल्कि पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है. यह घरेलू उपाय पूरी तरह सुरक्षित है.
सौंफ के फायदे
सौंफ में प्राकृतिक ठंडक होती है जो पेट के अतिरिक्त एसिड को संतुलित करती है. इसे चबाने से मुंह में लार बढ़ती है, जो भोजन पचाने में मदद करती है. इसमें मौजूद एनेथोल गैस, सूजन और दर्द कम करता है.
मिश्री की भूमिका
मिश्री की मिठास और ठंडक पित्त दोष को नियंत्रित करती है, जो एसिडिटी की जड़ है. दोनों को मिलाकर सेवन करने से अपच और भारीपन दूर होता है.
इस्तेमाल का आसान तरीका
सौंफ को हल्का भूनें, बराबर मिश्री मिलाएं. भोजन के बाद चबाकर खाएं या गुनगुने पानी के साथ लें. तुरंत राहत मिलेगी. आयुर्वेदाचार्य कहते हैं, यह बच्चों से बुजुर्गों तक सभी के लिए बिना साइड इफेक्ट वाला उपाय है.
सौंफ के अतिरिक्त लाभ
सौंफ चबाने से लार बैक्टीरिया मारती है, सांसों की बदबू जाती है. सौंफ का पानी भूख नियंत्रित कर मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है, फैट बर्न करता है और वजन कम करने में मदद करता है. महिलाओं के लिए खास: पीरियड्स दर्द, अनियमितता और ऐंठन में राहत देता है, हार्मोन संतुलित करता है. आंखों की रोशनी बढ़ाता है, त्वचा और बालों को स्वस्थ बनाता है.
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