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सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 4800 खनन पट्टाधारकों को दी राहत, देरी से दायर याचिकाएं होंगी स्वीकार

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के करीब 4800 छोटे खनन पट्टाधारकों को बड़ी राहत दी है. 12 नवंबर 2024 के आदेश में संशोधन करते हुए कोर्ट ने देरी से दायर पर्यावरण स्वीकृति (EC) याचिकाओं को स्वीकार करने का निर्देश दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 4800 खनन पट्टाधारकों को दी राहत, देरी से दायर याचिकाएं होंगी स्वीकार
सुप्रीम कोर्ट.

Rajasthan News: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के करीब 4800 छोटे खनन पट्टाधारकों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने अपने 12 नवंबर 2024 के आदेश में बदलाव करते हुए देरी से दायर पर्यावरण स्वीकृति (EC) याचिकाओं को विचार के लिए स्वीकार करने का आदेश दिया. यह फैसला मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने दिया.

देरी की वजह प्रशासनिक खामी

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि याचिकाओं में देरी खनन पट्टाधारकों की गलती नहीं थी. राजस्थान में राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) का पुनर्गठन देर से हुआ, जो 10 दिसंबर 2024 को अस्तित्व में आया.

तब तक कोर्ट की समय सीमा खत्म हो चुकी थी. इन याचिकाओं को PARIVESH पोर्टल पर फॉर्म-2 के जरिए दायर किया गया था, लेकिन देरी की वजह से इन्हें खारिज कर दिया गया था.

खनन पट्टाधारकों की दलीलें

खननकर्ताओं ने कोर्ट में कहा कि SEIAA के देर से गठन के कारण जरूरी Intimation ID समय पर नहीं मिल सका. इससे हजारों श्रमिकों की आजीविका खतरे में पड़ गई. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि उनकी याचिकाओं को बिना सुनवाई के खारिज करना प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है. कोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार किया.

राजस्थान सरकार का किया रुख

राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कहा कि यदि पर्यावरण मंत्रालय या SEIAA देरी से दायर याचिकाओं पर विचार करना चाहे तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं. कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए प्राधिकरण को याचिकाएं स्वीकार करने की अनुमति दी.

अगली सुनवाई 19 मई को

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अंतिम सुनवाई 19 मई 2025 को तय की है. तब यह फैसला होगा कि जिला स्तरीय प्राधिकरण (DEIAA) पहले की तरह EC जारी कर सकता है या केवल SEIAA ही इसके लिए अधिकृत होगा. कोर्ट ने 26 मई 2025 तक खनन जारी रखने की अंतरिम राहत भी बढ़ा दी है.

खननकर्ताओं के लिए उम्मीद

यह फैसला राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश से प्रभावित खननकर्ताओं के लिए उम्मीद की किरण है. NGT ने DEIAA से मिली EC का पुनर्मूल्यांकन SEIAA से कराना अनिवार्य किया था. अब खननकर्ता बिना रुकावट के काम जारी रख सकेंगे.

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