Rajasthan News: अलवर में पांडुपोल हनुमान मंदिर मेला सोमवार से शुरू हो गया है. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और वन राज्यमंत्री संजय शर्मा ने मेले का उद्घाटन किया. इस दौरान दोनों ने मंदिर में पूजा अर्चना की और महाआरती में भी शामिल हुए. पांडुपोल मेले के अलावा भर्तृहरि महाराज के लक्खी मेले का भी सोमवार को ही उद्घाटन किया गया. मंत्री भूपेंद्र यादव और संजय शर्मा सरिस्का गेट से पांडुपोल मंदिर तक खुली जीप से पहुंचे. इस दौरान मंत्री ने जंगल में वन और वन्यजीवों का निरीक्षण किया.
आज अलवर के पांडुपोल हनुमान जी महाराज मंदिर मेले का उद्धाटन श्रद्धालुओं के साथ किया।
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) September 9, 2024
पूजा-अर्चना कर अलवर वासियों के कल्याण के लिए राम भक्त संकटमोचन हनुमान से प्रार्थना की। pic.twitter.com/yDyHJqpphD
जिला प्रशासन ने किया अवकाश घोषित
पांडुपोल मंदिर के महंतों ने हनुमान जी की पट्टीका पहनाकर मंत्रियों का स्वागत किया. स्वागत के बाद मंत्रियों ने मंदिर में हनुमान जी की पूजा की और देश में खुशहाली की कामना की. पूजा अर्चना के बाद आरती में शामिल हुए और हनुमान जी के दर्शन किए. मेला शुभारंभ में मंत्रियों के साथ नगर निगम महापौर, जिला प्रमुख, सहित भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी मौजूद रहे. इस मौके पर मंदिर कमेटी ने मंत्री को यहां की समस्याओं के बारे में भी बताया. जिसके बाद मंत्री ने कहा कि शीघ्र इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा कि पांडुपोल आने वाले किसी भी भक्तों को कोई परेशानी नहीं हो. पांडुपोल का मेला 10 सितंबर को भरेगा जिसके लिए जिला प्रशासन ने अवकाश घोषित किया है. साथ ही प्रशासन ने मेले में सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की है.
आज अलवर में श्री श्री 1008 श्री भर्तृहरि महाराज के लक्खी मेले का उद्धाटन किया।
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) September 9, 2024
राजपाठ छोड़ योगी बने राजा भर्तृहरि की तपोस्थली अलवर में इस तीन-दिवसीय मेले में उनकी भक्ति को समर्पित इस आयोजन में सम्मिलित होकर खुद को धन्य महसूस कर रहा हूँ। pic.twitter.com/xmXFzmCYpj
200 साल पुराना है भर्तृहरिधाम
पांडुपोल हनुमान मंदिर के उद्घाटन के बाद मंत्री भूपेन्द्र यादव ने भर्तृहरि महाराज के लक्खी मेले का भी उद्धाटन किया. यह मंदिर अलवर जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर अलवर-जयपुर मार्ग पर बना है. यह धाम अलवर ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लोगों की आस्था का केंद्र माना जाता है. भर्तृहरिधाम मंदिर 200 साल से भी ज्यादा पुराना है. पौराणिक कथा के अनुसार उज्जैन के महाराजा भर्तृहरि ने वैराग्य धारण कर अलवर की इस तपोभूमि पर समाधि ली थी. उनकी यही समाधि स्थल भर्तृहरिधाम के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर नाथ संप्रदाय से जुड़ा है, जिसके कारण नाथ संप्रदाय के साधु संत यहां दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं.