अपच, गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी पेट की समस्याएं आज हर दूसरे व्यक्ति को सता रही हैं. ये छोटी लगने वाली परेशानियां धीरे-धीरे शरीर को कई गंभीर रोगों की जद में ले आती हैं, लेकिन पेट साफ रहे तो आधी बीमारियां अपने आप दूर हो जाती हैं. ‘गोरक्षासन' पेट की समस्त समस्याओं का सबसे कारगर समाधान है.
पेट के लिए बहुत फायदेमंद
मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा पेट के लिए बेहद फायदेमंद आसन ‘गोरक्षासन' के बारे में विस्तार से जानकारी देता है. योग एक्सपर्ट बताते हैं कि ये सबसे उन्नत आसन माना जाता है जो शरीर, मन और प्राण को एक साथ संतुलित करता है.
नियमित करने से कुंडलिनी जागरण होती है
गोरक्षासन नाथ योगियों की परंपरागत साधना का मूल आसन है. इसे नियमित करने से कुंडलिनी जागरण, मेरुदंड की लचक, एकाग्रता में वृद्धि होती है. यह आसन विशेष रूप से पेट की समस्याओं से जूझ रहे लोगों, मेडिटेशन करने वालों और लंबे समय तक स्थिर बैठने की क्षमता बढ़ाने के लिए बेहतरीन है.
गोरक्षासन करने की विधि भी बेहद सरल
गोरक्षासन करने की विधि भी बेहद सरल है. इसके लिए जमीन पर बैठकर पैर सामने फैलाएं. पैरों को मोड़ते हुए दोनों तलवों को आपस में मिलाएं. एड़ियों को नितंबो के नजदीक लाएं और एड़ियों पर बैठ जाएं. घुटने को जमीन से स्पर्श कराएं. दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में घुटनों पर रखें. रीढ़ और गर्दन सीधी रखें. जब तक संभव हो, इसी मुद्रा में रहें और उसके बाद आरंभिक अवस्था में लौट आएं. इस दौरान रीढ़, गर्दन और सिर को पूरी तरह सीधा रखें.
गोरक्षासान की शुरुआत 1 से 2 मिनट से करें
एक्सपर्ट बताते हैं कि गोरक्षासन की शुरुआत 1-2 मिनट से करनी चाहिए और धीरे-धीरे समय बढ़ाना चाहिए. यह आसन पाचन तंत्र को मजबूत करता है. प्रोस्टेट ग्रंथि को स्वस्थ रखता है. पैरों और कमर के दर्द में राहत देता है और सबसे बड़ी बात है कि यह ध्यान की गहराई कई गुना बढ़ा देता है. इसे “सिद्ध आसन” भी कहते हैं.
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