Rajasthan Assembly Election 2023: विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. अब तक दोनों दलों की जारी हुई सूची में झुंझुनूं जिले की सात विधानसभा सीटों में से चार विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी आमने-सामने मैदान में है. कांग्रेस ने पुराने चेहरों पर दांव खेलते हुए बृजेन्द्र ओला, रीटा चौधरी, श्रवण कुमार और डॉ राजकुमार शर्मा को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं भाजपा ने वर्तमान सांसद नरेन्द्र कुमार और पूर्व सांसद संतोष अहलावत सहित 2018 के चुनाव में बागी होकर मैदान में उतरे बबलू चौधरी और विक्रम सिंह जाखल पर दांव खेला है. पिलानी और खेतड़ी विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी तो वही पिलानी, खेतड़ी, उदयपुरवाटी सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार है.
झुंझुनूं विधानसभा का हाल
झुंझुनूं विधानसभा सीट से कांग्रेस ने बृजेन्द्र ओला को प्रत्याशी बनाया है. भाजपा ने पिछली बार के बागी बबलू चौधरी को मैदान में उतारा है. झुंझुनूं विधानसभा जाट बाहुल्य सीट हैं ऐसे में दोनों दलों ने जाट समाज के प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. झुंझुनूं से ओला को लगातार चौथी बार कांग्रेस ने झुंझुनूं से प्रत्याशी बनाया है.
2018 के विधानसभा चुनाव में ओला ने भाजपा प्रत्याशी राजेन्द्र भांबू को 40565 वोटो हराकर बड़े मार्जिन से जीत दर्ज की थी. वर्तमान में ओला राज्य सरकार में परिवहन मंत्री के पद पर थे. वे यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके है. अब तक यहां से दो बार ही कमल का फूल खिल पाया है.
यह भाजपा के लिए सबसे मुश्किल सीट है. इस बार ओला का मुकाबला भाजपा के बबलू चौधरी से होगा. 2018 का चुनाव बबलू ने निर्दलीय लड़ा था. 29410 वोट मिले थे.
नवलगढ़ विधानसभा का हाल
नवलगढ़ से कांग्रेस ने दूसरी बार डॉ राजकुमार शर्मा को प्रत्याशी बनाया है तो वही भाजपा ने पिछली बार के बागी विक्रम सिंह जाखल को मैदान में उतारा हैं. डॉ राजकुमार शर्मा यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके है. 2018 में भाजपा प्रत्याशी रवि सैनी को 36500 वोटो से चुनाव हराया था.
इस बार भाजपा ने पूर्व प्रत्याशी की टिकट काटकर निर्दलीय चुनाव लड़े विक्रम सिंह जाखल को उम्मीदवार बनाया है. भाजपा के लिए यह सीट सबसे मुश्किल रही है. अभी तक यहां भाजपा का कोई प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर पाया है. डॉ राजकुमार ने पहली बार 2008 में बसपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था.
उसके बाद कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उसके बाद 2013 के चुनाव कांग्रेस ने राजकुमार शर्मा की टिकट काट दी थी. डॉ राजकुमार यह चुनाव निर्दलीय लड़ा था और जीत दर्ज की थी. उसके बाद 2018 में कांग्रेस ने राजकुमार को टिकट देकर अपना प्रत्याशी बनाया था. वे वर्तमान में सीएम के सलाहकार है. उनका मुकाबला भाजपा उम्मीदवार विक्रम जाखल से होगा.
मंडावा विधानसभा का हाल
मंडावा विधानसभा सीट से भाजपा ने सांसद नरेन्द्र कुमार को मैदान में उतारा हैं तो यहां से कांग्रेस ने विधायक रीटा चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. 2018 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र खीचड़ ने कांग्रेस प्रत्याशी रीटा को 2346 वोटा हराया था. नरेन्द्र के सांसद बनने पर 2019 के उपचुनाव में रीटा ने वापसी करते हुए भाजपा प्रत्याशी सुशीला सीगड़ा को 33704 वोटों से मात दी थी.
भाजपा के लिए यह सीट काफी मुश्किल भरी रही है. यहां से कांग्रेस के तीन प्रदेशाध्यक्ष रह चुके. पहली बार नरेन्द्र कुमार ने ही भाजपा से जीत दर्ज की थी. रीटा कांग्रेस के दिग्गज नेता पीसीसी चीफ रहे रामनारायण चौधरी की पुत्री है. रीटा मण्डावा से कांग्रेस की सीट पर दो बार चुनाव जीत चुकी है. जबकि दो बार हार का सामना करना पड़ा है.
सूरजगढ़ विधानसभा का हाल
सूरजगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा ने एक बार फिर पूर्व सांसद संतोष अहलावत को वर्त्तमान विधायक सुभाष पुनिया की टिकट काट कर मैदान में उतारा तो वहीं पूर्व विधायक श्रवण कुमार को कांग्रेस ने सूरजगढ़ सीट से उम्मीदवार बनाया है. 2018 के चुनाव में श्रवण कुमार भाजपा प्रत्याशी सुभाष पूनियां से चुनाव हार गए थे.
श्रवण कुमार को 76488 वोट मिले थे. वही भाजपा प्रत्याशी सुभाष पूनिया को 79913 वोट मिले थे. दोनों ही एक-एक बार एक दूसरे को हरा चुके हैं. वर्ष 2008 के चुनाव में श्रवण कुमार जीते व संतोष अहलावत को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 2013 में संतोष अहलावत जीती व श्रवण कुमार को हार का सामना करना पड़ा.
हालांकि वर्ष 2014 में संतोष अहलावत सांसद बन गई और उपचुनाव में श्रवण कुमार ने दिगम्बर सिंह को हरा दिया. अब 2023 के चुनाव में तीसरी बार दोनों आमने-सामने होंगे. श्रवण कुमार पिलानी व सूरजगढ़ से कुल 5 बार विधायक का चुनाव जीत चुके. वहीं संतोष अहलावत एक बार विधायक व एक बार सांसद का चुनाव जीत चुकी है.