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"RSS की शाखा में वंदे मातरम नहीं गाया जाता है", गहलोत बोले- बिना विपक्ष को लिए काम हो रहा

राजस्‍थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत उदयपुर प्रवास पर हैं. उन्होंने भजनलाल सरकार के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए.

"RSS की शाखा में वंदे मातरम नहीं गाया जाता है", गहलोत बोले- बिना विपक्ष को लिए काम हो रहा
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत.

प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने उदयपुर के सर्क‍िट हाउस में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम लोगों से मुलाकात की. लोगों ने अपनी परिवेदनाएं भी पूर्व मुख्यमंत्री को बताई. इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि वे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल की तबीयत पूछने के लिए उदयपुर आए हैं.

"पता ही नहीं चल रहा क्या हो रहा है"

उन्होंने प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा कि पहली बार व‍िधायक बने और पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं. भगवान उनको मौका दे द‍िया है. पता ही नहीं चल रहा क्या हो रहा है. शहरी सेवा श‍िव‍िर चल रहा है. उसकी मॉन‍िटर‍िंग कौन कर रहा है पता नहीं चल रहा है. चल भी रहा है क‍ि नहीं.

"विपक्ष कुछ बोल रहा है तो जांच करवा लीजिए"

अशोक गहलोत ने कहा, "हम व‍िपक्ष में हैं तो उसकी भूमिका न‍िभाएंगे ही. आपकी कम‍ियां बताएंगे और आलोचना करेंगे. उसको अन्‍यथा नहीं लेना चाह‍िए. विपक्ष कुछ बोल रहा है तो जांच करवा लीजिए, लेकिन बिना विपक्ष को लिए काम हो रहा है. सरकार व‍िपक्ष की परवाह ही नहीं कर रही है. व‍िपक्ष को इन्वॉल्व क‍िए ब‍िना काम कर रहे हैं. सरकार का पैसा उड़ा रहे हैं, विज्ञापनों के अंदर. आप सोच नहीं सकते हैं क्‍या-क्‍या हो रहा है."

"वंदे मातरम से इनका संबंध क्‍या है"

उन्होंने कहा, "वंदे मातरम से इनका संबंध क्‍या है? आज तक शाखा में वंदे मातरम नहीं गाया गया है. उनका अलग गीत है. वंदे मातरम पहली बार कांग्रेस के अध‍िवेशन के अंदर गाया गया. वंदे मातरम को पहली बार रव‍ींद्रनाथ टैगोर जी ने गाया था, तब से इत‍िहास गवाह है क‍ि कांग्रेस वंदे मातरम गाती आई है. देश की स्‍तुत‍ि है. कोई द‍िक्‍कत नहीं है, आप भी गाओ. आप सरकार में हो तो 150वीं वर्षगांठ मना रहे तो खुशी की बात है."

"केवल बीजेपी कार्यकर्ताओं को बुला रहे हैं" 

उन्होंने कहा क‍ि बीजेपी के कार्यकर्ताओं को केवल बुला रहे हैं. आरएसएस के लोग केवल जाकर बैठते हैं. देश वाले इसमें इन्‍वॉल्‍व नहीं हैं. ऐसे इवेंट बहुत महत्‍व रखते हैं. देश में ज‍ितनी पार्टी हैं. जो प्रत‍िष्‍ठ‍ित लोग हैं. पत्रकार की तरह, जो साह‍ित्‍यकार हैं. उन्हें बुलाना चाह‍िए. लोगों के सुझाव लेने चाह‍िए. उसके बाद कार्यक्रम होने चाह‍िए.

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