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This Article is From Jul 25, 2023

क्या है 'लाल डायरी' का रहस्य - 'मौसम विज्ञानी' राजेंद्र गुढ़ा को क्या होगा हासिल...?

राजेंद्र गुढ़ा का कहना है कि 'लाल डायरी' में कांग्रेस सरकार द्वारा अपने बचाव के लिए उठाए गए हर उस कदम का लेखाजोखा है, जिन्हें गुढ़ा ने 'काले कारनामे' करार दिया है.

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क्या है 'लाल डायरी' का रहस्य - 'मौसम विज्ञानी' राजेंद्र गुढ़ा को क्या होगा हासिल...?
राजस्थान की राजनीति में राजेंद्र गुढ़ा की 'लाल डायरी' का राज़ तूल पकड़ता जा रहा है...
जयपुर:

राजस्थान की राजनीति में 'लाल डायरी' का राज़ तूल पकड़ता जा रहा है, और भारतीय जनता पार्टी (BJP) इसे मुद्दा बनाने में जुटी हुई है. अब एक बहुत बड़े-से आकार की, यानी लाइफ़साइज़ 'लाल डायरी' तैयार की गई है, जिसका नाम 'भ्रष्टाचार कृत लाल किताब' रखा गया है. इस किताब को लेकर BJP अब सड़कों पर उतरेगी, और प्रदर्शन करेगी. सूबे की कांग्रेस सरकार की विफलताओं को उजागर करने के उद्देश्य से 1 अगस्त को 'नहीं सहेगा राजस्थान' नाम से बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है, जहां यह लाल डायरी भी होगी.

लेकिन इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस राजनीति में कोई स्थायी मित्र या स्थायी शत्रु नहीं होते, उसमें आखिर ऐसा क्या हुआ था, जिसके चलते राजेंद्र गुढ़ा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच बने रहे राज़, यानी 'लाल डायरी' को सार्वजनिक करना पड़ा. गौरतलब है कि सूबे में राजेंद्र गुढ़ा ने दो बार चुनाव लड़ा है, लेकिन हमेशा बहुजन समाज पार्टी (BSP) की टिकट से, लेकिन वह हर बार BSP छोड़ कांग्रेस में शामिल होते रहे हैं, और उन्हें मंत्रिपद भी मिल जाता है. राजनीतिक विश्लेषक राजेंद्र गुढ़ा को अशोक गहलोत की टीम बी कहा करते हैं. वैसे, राजेंद्र गुढ़ा के साथ जब इत्मीनान से बैठा जाए, तो गाहे-बगाहे वह 'लाल डायरी' का किस्सा सुनाते रहे हैं.

राजेंद्र गुढ़ा का अब दावा है कि जब जुलाई, 2020 में अशोक गहलोत सरकार संकट में थी, और धर्मेंद्र राठौर के घर पर रेड चल रही थी, तब मुख्यमंत्री के ही निर्देश पर राजेंद्र गुढ़ा ने फ़िल्मी स्टाइल में राठौर के घर में घुसकर 'लाल डायरी' सुरक्षित निकाली थी. गुढ़ा का दावा है कि उन्होंने डायरी मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही निकाली थी, और उन्हें तो डायरी को जला डालने की हिदायत दी गई थी.

आखिर क्या है इस 'लाल डायरी' में...?
राजेंद्र गुढ़ा का कहना है कि 'लाल डायरी' में कांग्रेस सरकार द्वारा अपने बचाव के लिए उठाए गए हर उस कदम का लेखाजोखा है, जिन्हें गुढ़ा ने 'काले कारनामे' करार दिया है. उनका कहना है, राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को जिताने और सचिन पायलट के विद्रोह के समय सरकार को बचाने के लिए किसे क्या भुगतान किया गया.

इन आरोपों को कांग्रेस ने सरासर झूठ बताया है, और कहा है कि यह गहलोत सरकार को बदनाम करने के लिए BJP के साथ मिलकर किया गया षडयंत्र है. राजस्थान के संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने इसे 'फ्रैब्रिकेशन' करार दिया है.

कुछ सवाल तो फिर भी खड़े होते हैं...
इस पूरे घटनाक्रम में सोचने की बात यह है कि अगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसे अनुभवी राजनेता को जानकारी थी कि 'लाल डायरी' जैसी कोई किताब है, तो उन्होंने बीते तीन साल में अब तक यह सुनिश्चित क्यों नहीं किया कि 'लाल डायरी' नष्ट कर दी जाए.

दूसरी तरफ़, विधानसभा पहुंचे राजेंद्र गुढ़ा के हाथ से 'लाल डायरी' छीनकर किसी ने फाड़ दी थी, लेकिन बाहर आकर उन्होंने दावा किया कि 'लाल डायरी' का दूसरा भाग उनके पास अब भी मौजूद है. सवाल यह है कि क्या राजेंद्र गुढ़ा ने 'लाल डायरी' की अलग-अलग कॉपी बना ली हैं, और क्या सभी कॉपियां लाल रंग में ही बनाई गई हैं.

एक बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर 'लाल डायरी' में है क्या, और गुढ़ा उसे पढ़कर सुनाते क्यों नहीं...

ऐसे कुछ सवाल हैं, जिनके जवाब फिलहाल नहीं मिल सके हैं...

वैसे, राजेंद्र गुढ़ा का इतिहास देखें, तो वह राजनैतिक रूप से अवसरवादी ही रहे हैं, और जिस तरफ़ हवा का रुख होता है, वहीं वह पहुंच जाते हैं. हाल ही में वह सचिन पायलट के पक्ष में बोलने लगे थे, और उनके साथ दिखने भी लगे थे. सो, साफ़ कहा जा सकता है, गुढ़ा मौसम विज्ञानी हैं. दिलचस्प तथ्य यह है कि कुछ ही दिन पहले राजेंद्र गुढ़ा ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी से भी मुलाकात की, सो, हो सकता है. वह राजस्थान चुनाव के बाद बनने वाली नई विधानसभा में प्रवेश का नया रास्ता तलाश कर रहे हों.

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