
Sant Mav ji Maharaj: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सागवाड़ा में आयोजित चुनावी सभा में मावजी महाराज की भविष्यवाणियों का उल्लेख करते हुए कहा कि मैं अब भविष्यवाणी कर रहा हूं कि राजस्थान में कभी अशोक गहलोत की सरकार नहीं आएगी. इसके बाद से पूरे क्षेत्र में मावजी महाराज की भविष्यवाणियों को लेकर एक बार फिर सुर्खियां बनी हुई है. उल्लेखनीय है कि मावजी महाराज द्वारा करीब 300 साल पहले की गई भविष्यवाणी आधुनिक समय में सटीक साबित हो रही हैं. आइए जानते हैं कौन हैं संत मावजी महाराज और क्या थी उनकी भविष्यवाणियां जो अब सच हो रही है.
जनजाति क्षेत्र में करीब 300 साल पहले साबला में संत मावजी महाराज का जन्म हुआ. बचपन से कुशाग्र बुद्धि होने के कारण उन्होंने आध्यात्म की ओर आकर्षित हुए. पंद्रह साल की उम्र में उन्हें दिव्य योग से ज्ञान की प्राप्ति हुई. 237 साल बेणेश्वर धाम के महंत मावजी महाराज की 72 लाख 66 हजार भविष्यवाणियां अब सही साबित हो रही हैं .
उन्होंने उस जमाने में लाक्षा की स्याही और बांस की कलम से हस्तलिपि में भविष्यवाणी की थी. निष्कलंक भगवान के तौर पर पूजे जाने वाले बेणेश्वर धाम (त्रिवेणी संगम) के महंत मावजी महाराज की कलम से करीब 237 साल पहले की गई भविष्यवाणियां आज सही साबित हो रही हैं. वागड़ी भाषा में लिखी गई यह हस्तलिपियां आज भी साबला (डूंगरपुर) स्थित मावजी के जन्म स्थान (वर्तमान में मंदिर) मेंसहेज कर रखी गई हैं.
हस्तलिपी वाले प्रमाणों के हिसाब से उस जमाने में, जब हवाई जहाज, बिजली, डामर सड़क और मोबाइल जैसे अविष्कारों का नामों निशान नहीं था,तब उन्होंने चित्रों के माध्यम से ऐसी कल्पनाओं से भविष्य की तस्वीर को कागजों में उकेरा था. अब मावजी के इन्हीं चोपड़ों (हस्तलिखित दस्तावेज) को डिजिलाइजेशन भी हो रहा है. माव कृतियां चोपड़ों तक ही सीमित नहीं हैं. मावजी महाराज की हस्तलिपी में ज्ञान भंडार, अकल रमण, सुरानंद, भजनावली, भवन स्त्रोत, ज्ञानरल माला, कलंगा हरण और न्याव जैसे कृतियां भी शामिल हैं.
इनमें से एक हरि मंदिर में सुरक्षित है. दूसरा यहां बने हुए आबू दर्रा के भीतर है, जबकि तीसरा चोपड़ा अंग्रेज यहां से टोक्यो (जापान) लेकर गए थे. कुछ लोगों की मान्यता है कि इसके अलावा एक चोपड़ा शेषपुर मंदिर (झल्लारा, उदयपुर) और एक बांसवाड़ा में भी रखा हुआ है. इन चोपड़ों पर आज भी अध्ययन कार्य जारी है.
वर्तमान में वेणेश्वर धाम के पीठाधीश्वर अच्युतानंद महाराज के अनुसार विक्रम संवत 1784 में मावजी महाराज ने वेणेश्वर में गादी स्थापित कर माव परंपरा आरंभ की थी. पांच साल यहां बिताने के बाद मावजी 1801 में धौलागढ़ रहे. उन्होंने कहा था कि इस क्षेत्र का आदिवासी समाज राज करेगा.
समय में परिवर्तन बताती हैं हस्तलिपियां -
1. वायरे बात होवेगा : (तात्पर्य है कि हवा में लोगों की बात होगी. वर्तमान में मोबाइल के माध्यम से बात हो रही है.)
2. परिऐ पाणी वेसाएगा : (आशय माप कर पानी बेचा जाएगा. वर्तमान में पैक बोटलों में लीटर के भाव बिक रहा है पानी.)
3. डोरिये दीवा बरेंगा : (तात्पर्य डोरियों से दीपक जलेंगे. वर्तमान में पंडित दीनदयाल उपाध्याय कुटीर ज्योति योजना में गांव-ढाणियों में बिजली तारों से रोशनी हो रही है.)
4. भेंत में भभुका फूटेगा : (तात्पर्य दीवारों में पानी आएगा. वर्तमान में लोगों के घरों की नल सुविधा.)
5. खारा समुंदर मीठा जल होसी : (अर्थात समुद्र का खारा पानी मीठा होगा. वर्तमान में सम्रुद्र के पानी को उपयोग बनाने के प्रयास हो रहे हैं.)
6. पर्वत गिरी ने पाणी होसी : (मतलब पर्वत पिघलकर पानी बनेंगे. वर्तमान में हिम पर्वत पिघल कर पानी हो रहे हैं. सम्रुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है.)
7. समुंदर ने तीरे कर्षण कमासी : (समुद्र के किनारों पर किसान कमाएंगे. वर्तमान में नमक की पैदावार के अलावा विशेष वनस्पतियों की खेती हो रही है.)
8. पूरब-पश्चिम वायरा बाजसी सर्वे वाणी फरसी रे : (मतलब पूर्व-पश्चिम की संस्कृति में मेल जोल होगा. वर्तमान में हमारा देश पश्चिम संस्कृति के पीछे भाग रहा है.)
9. जमीन आसमान का पर्दा टूटेगा : (तात्पर्य जमीन और आसमान के बीच की दीवार टूटेगी. वर्तमान में ओजोन मंडल में छेद का उदाहरण सामने हैं.)
10. धरती तो तांबा वरणी होसी : (धरती तपकर तांबे के रंग की हो जाएगी. धरती का तापमान निरंतर बढ़ता जा रहा है.)
साबला में मावजी के जन्म स्थान में बने इस हरि मंदिर में सुरक्षित है चोपड़ा.
सटीक हैं ये भविष्यवाणियां-
1. बग सरणे हंस बिसती, हंस करे बग नी सेवा : (अर्थात बगुले की शरण में हंस बैठेगा और हंस बगुले की सेवा करेगा. अर्थात अयोग्य व्यक्ति की सेवा होशियार आदमी के माध्यम से होगी)
2. चार जुगना बंधन तोड़ी, जुगना भगत तारया :(अर्थात चार युगों से चले आ रहे जाति-धर्म के बंधन टूटेंगे. भक्ति के माध्यम से ही नय्या पार लगेगी)
3. बधनि सिर थकी भार उतरयसी : (तात्पर्य बैलों के सिर पर बोझ हल्का होगा. वर्तमान में खेतों की जुताई के लिए आधुनिक उपकरण के तौर पर ट्रैक्टर काम में लिए जा रहे हैं. बैलों से खेती का चलन कम हो गया है)
4. बहू बेटी काम भारे, सासु पिसणा पिसेगा : (तात्पर्य है कि घर के कामकाज में बहू बेटियां भारी पड़ेंगी. सास घर का आटा पीसेगी. वर्तमान में पढ़ी-लिखी लड़कियां और बहुएं नौकरी करती हैं. घर संभालने वाली सास काम करती है.)
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