Rajasthan Politics: लोकसभा चुनाव 2024 में बाड़मेर-जैसलमेर में 74.25% मतदान हुआ. इस सीट की इतिहास की बात करें तो 1991 तक वृद्धिचंद जैन के अलावा केवल राजपूत प्रत्याशी भवानी सिंह, रघुनाथ सिंह, तन सिंह और कल्याण सिंह कालवी आदि चुनाव जीते. 1991 में पहली बार इस सीट से रामविलास मिर्धा जाट प्रत्याशी चुनाव जीता. इसके बाद से सीट को लेकर जाट-राजपूत अक्सर आमने सामने रहे.
बाड़मेर-जैसलमेर से दो जाट और एक राजपूत नेता मैदान में थे
इस बार भाजपा ने कैलाश चौधरी और कांग्रेस ने उमेदाराम बेनीवाल को प्रत्याशी बनाया है. रविंद्र सिंह भाटी निर्दलीय प्रत्याशी हैं. कैलाश चौधरी और उम्मेदाराम बेनीवाल दोनों जाट हैं. रविंद्र सिंह भाटी अकेले राजपूत नेता हैं.
बाड़मेर-जैसलमेर में 18.5 लाख वोटर्स हैं
बाड़मेर-जैसलमेर में लगभग 18.5 लाख वोटर्स हैं. जाट और राजपूत दोनों नेताओं का दबदबा है. 4 लाख जाट वोटर हैं और 2.7 लाख राजपूत वोटर हैं. करीब 2.5 लाख मुस्लिम मतदाता हैं. 4 लाख मतदाता अनुसूचित जाति के हैं. 5 लाख के करीब अन्य जातियों के मतदाता हैं.
रविंद्र सिंह भाटी को राजपूत होने का मिलेगा फायदा
रविंद्र सिंह भाटी को राजपूत होने का पूरा फायदा मिल सकता है. उम्मेदाराम और कैलाश चौधरी दोनों जाट हैं. ऐसे में जाट वोटों का ध्रुवीकरण होने की वजह से दोनों नेताओं को नुकसान हो सकता है. ओबीसी का एक बड़ा धड़ा रविंद्र भाटी के पक्ष में जा सकता है, क्योंकि शिव विधानसभा चुनाव में भी मूल ओबीसी और राजपूत वोटों के आधार पर ही रविंद्र चुनाव जीते थे.
कांग्रेस नेता अमीन खां की नाराजगी से कांग्रेस को होगा नुकसान
कांग्रेस नेता की नाराजगी का नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ेगा. अमीन खां का मुस्लिम वोटर पर ठीक पकड़ माना जाता है. ऐसा भी माना जाता है कि अमीन खां ने अंदखाने रविंद्र सिंह भाटी का सपोर्ट किया है. ऐसे में मुस्लिमों का भी वोट रविंद्र सिंह भाटी के खाते में गया होगा. राजपूत समाज कांग्रेस और भाजपा दोनों से नाराज चल रही थी.
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