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This Article is From Jan 22, 2024

अयोध्या में अरुण योगीराज ने क्यों कहा, 'धरती पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति मैं हूं'

अरुण योगीराज ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने कहा कि 'मुझे लगता है कि अब मैं इस धरती पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं.

अयोध्या में अरुण योगीराज ने क्यों कहा, 'धरती पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति मैं हूं'
रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज कैसे बने मूर्तिकार

Ramlala Statue Maker Arun Yogiraj: अरुण योगीराज ने खुद को धरती का सबसे भाग्यशाली व्यक्ति बताया है. अरुण योगीराज अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हुए थे. उन्होंने यहां कार्यक्रम के बाद कहा कि वह ऐसे शख्स हैं जो धरती पर सबसे भाग्यशाली हैं. ऐसा उन्होंने इसलिए कहा कि अयोध्या के राम मंदिर में जो रामलला की मूर्ति स्थापित की गई है उसे अरुण योगराज ने ही बनाया है. एक MBA का छात्र ऐसा मूर्तिकार है जिसने न केवल रामलला बल्कि के देश के अलग-अलग राज्यों में विशेष मूर्तियों को बनाया है.

अरुण योगीराज ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने कहा समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि

'मुझे लगता है कि अब मैं इस धरती पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं. मेरे पूर्वजों, परिवार के सदस्यों और भगवान राम का आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहा है. कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है, जैसे मैं सपनों की दुनिया में हूं.'

कौन हैं अरुण योगीराज जो एमबीए करने बाद बने मूर्तिकार

अरुण योगीराज एक मूर्तिकार हैं जो कर्नाटक मैसूर के रहने वाले हैं. वैसे तो योगीराज MBA की पढ़ाई की है. लेकिन वह एक खानदानी मूर्तिकार हैं. उनकी कई पढ़ियां इस काम से जुड़े थे. उनके पिता योगीराज शिल्पी बेहतरीन मूर्तिकार हैं. जबकि दादा बसवन्ना शिल्पी ने वाडियार घरान के महलों में अपनी कला दिखाई थी.

हालांकि, अरुण योगीराज मूर्तिकार नहीं बनना चाहते थे. योगीराज ने 2008 में मैसूर यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई करने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की. लेकिन उनके दादा कहते थे कि अरुण एक मूर्तिकार ही बनेगा. और आखिर में वहीं हुआ अरुण योगीराज मूर्तिकार बने.

देश के विभिन्न राज्यों के महत्वपूर्ण मूर्तियां बनाई

अरुण योगीराज ने रामलला की मूर्ती ही नहीं, बल्कि दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थापित सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट मूर्ति को उन्होंने ही बनाई थी. इसके अलावा शंकराचार्य की 12 फीट की मूर्ति बनाई है, जिसकी स्थापना केदारनाथ में की गई है. मैसूर में स्थापित भगवान हनुमान की 21 फीट की मूर्ति भी बनाई है.

रामलला की मूर्ति का निर्माण श्याम शिला पत्थर को तराश कर किया है। रामलला की मूर्ति की ऊंचाई 4.24 फीट है, जो दिखने में काफी भव्य है. मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है. मूर्ति में भगवान राम के कई अवतारों को तराशा गया है.

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