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This Article is From Jul 30, 2023

राजस्थान की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस को क्यों जरूरी है मेवाड़ ओर वागड़ में जीत?

वागड़ मेवाड़ की राजनीति को देखे तो यहां शुरू से ही भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर रही है, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी एक बड़े प्रतिद्वंदी के तौर पर उभरकर सामने आई है.

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राजस्थान की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस को क्यों जरूरी है मेवाड़ ओर वागड़ में जीत?
वागड़:

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस कमेटी भले ही अपनी जन कल्याणकारी योजना के बूते राजस्थान का रिवाज बदलने का दावा कर रहे हों, वह भली भांति जानते हैं कि जब तक वागड़ और मेवाड़ क्षेत्र में कांग्रेस को अधिक सीटें मिलेंगी तो ही राजस्थान में सरकार कांग्रेस की सरकार रिपीट हो सकती है. इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस कमेटी विश्व आदिवासी दिवस मानगढ़ धाम पर लाखों आदिवासियों के साथ मनाएगी.  कभी पूरे क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा था लेकिन भाजपा और भारतीय ट्रायबल पार्टी का तेजी से जनाधार बढ़ने से कांग्रेस को कई बार सत्ता से हाथ धोना पड़ा है. इसको देखते हुए कांग्रेस का पूरा फोकस इस चुनावों में वागड़ और मेवाड़ क्षेत्र पर ही निर्भर है. 

आदिवासी दिवस पर आदिवासियों की आस्था स्थली मानगढ़ धाम से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा मानगढ़ धाम पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे. 

कांग्रेस आलाकमान के इस दौरे पर एक साथ वागड़ की 10 और उदयपुर संभाग की 28 सीटों के साथ साथ मध्य प्रदेश की जनजाति बहुल विधान सभा क्षेत्र पर भी नजर रहेगी. मानगढ़ धाम राजस्थान ही नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान के साथ ही महाराष्ट्र के आदिवासियों की श्रद्धा का एक बड़ा केंद्र है. कांग्रेस का शुरू से ही आदिवासियों पर फोकस रहा है और पिछले विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से कांग्रेस कमजोर हुई है. सीधी टक्कर दे रही बीटीपी को भी साधने की कोशिश करने का प्रयास करेगी. 

वागड़ मेवाड़ की राजनीति को देखे तो यहाँ शुरू से ही भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर रही है, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी एक बड़े प्रतिद्वंदी के तौर पर उभरकर सामने आई है. बीटीपी ने पिछली बार 11 सीटों पर चुनाव लड़कर 0.72 प्रतिशत वोट हासिल करते हुए 2 सीटें जीती थी. ऐसे में इस बार माना जा रहा है कि बीटीपी और भी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. इससे कांग्रेस के ट्राइबल वोटबैंक कमजोर हो सकता है.

प्रदेश के चुनाव में हमेशा से ही उदयपुर संभाग की सीटों पर भाजपा और कांग्रेस का फोकस रहा है. क्योंकि उदयपुर जीता तो प्रदेश जीता माना जाता रहा है क्योंकि संभाग में 28 सीटों का विधानसभा में प्रतिनिधित्व है. 25 सीटें एसटी की रिजर्व हैं. 2018 विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो भाजपा ने सबसे ज्यादा 15 सीटें जीती थीं, हालांकि धरियावद उपचुनाव में कांग्रेस जीत गई.

वहीं कांग्रेस के खाते में 10 सीटें आए थी, लेकिन उपचुनाव जीतने से अब सीटें बढ़ गई है. कुशलगढ़ की एक सीट पर निर्दलीय रमिला खड़िया जीती हुई है, जबकि 2 सीटों पर भारतीय ट्राइबल पार्टी का कब्जा है. मुख्य रूप से बांसवाड़ा-डूंगरपुर की 9 विधानसभा सीटों में से 3 कांग्रेस के पास हैं और 3 बीजेपी के पास दो सीटों पर बीटीपी और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी जीती हुई है.

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