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नशीली दवाओं के असली सौदागरों तक क्यों नहीं पहुंच पाती पुलिस? राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा

ड्रग्स और नशेखोरी के बढ़ते मामलों पर राजस्थान हाई कोर्ट ने चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने ऐसे मामलों पर खुद से संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य की सरकार से सवाल पूछे हैं.

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नशीली दवाओं के असली सौदागरों तक क्यों नहीं पहुंच पाती पुलिस? राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा
राजस्थान हाई कोर्ट.

Rajasthan High Court: युवाओं में बढ़ते नशे की बढ़ती आदत को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने खुद से संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार से कई सवाल पूछे हैं. राजस्थान हाई कोर्ट के न्यायाधीश फरजान अली ने स्व प्रेरणा से संज्ञान लेते हुए कई सवाल खड़े किए हैं और उसके जवाब जानने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. मामले में 22  जनवरी 2024 को अगली सुनवाई निर्धारित की गई है.

न्यायाधीश फरजंद अली ने स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए कहा कि हमारे सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में साइकोट्रोपिक पदार्थ युक्त गोलियां (दवाएं) जब्त की गई हैं और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

जज ने आगे कहा कि सामान्य तौर पर, जांच एजेंसी उन आरोपी व्यक्तियों को पकड़ती है जो गोलियां ले जा रहे थे या जिनसे गोलियां बरामद की गई थीं और ये आरोपी व्यक्ति अन्य आरोपियों का नाम लेते हैं जिनसे उन्होंने कथित तौर पर गोलियां खरीदी थीं और मामला वहीं खत्म हो जाता है, लेकिन नशीली दवाओं के असली सौदागरों तक पुलिस पहुंच ही नहीं पाती.

आम तौर पर, जोधपुर या श्री गंगानगर जैसे शहर में कोई भी डॉक्टर, चाहे वह चिकित्सक हो, सर्जन हो या मनोचिकित्सक हो, मध्यम आबादी को देखते हुए एक महीने में 200-300 से अधिक गोलियां नहीं लिख सकता है. इसके विपरीत, केमिस्ट, औषधालय और मेडिकल स्टोर मालिक बड़ी मात्रा में ट्रामाडोल, अल्प्राजोलम, कोडीन फॉस्फेट सिरप आदि जैसी गोलियाँ संग्रहीत कर रहे हैं, जो पहली नज़र में, आवश्यकता के अनुपात में नहीं लगती हैं.

कोर्ट ने कहा कि नशीली दवाइयां विशेषकर युवाओं के जीवन को प्रभावित कर रही है, न्यायालय ने सवाल उठाया- क्या टैबलेट और सिरप के अनावश्यक उत्पादन, निर्माण को नियंत्रित करने के लिए कोई तंत्र है या नहीं. इन सवालों के जवाब आवश्यक हैं.


अन्यथा, शहरों की दवा दुकानों को बिना विनियमित किए अपने मनमर्जी के अनुसार संचालित करने के लिए छोड़ दिया जाएगा और मनोदैहिक पदार्थों से युक्त गोलियों के अवैध वितरण का स्रोत भी नहीं आएगा. अब इस मामले की सुनवाई 22 जनवरी 2024 को की जाएगी जब राज्य और केंद्र सरकार द्वारा जबाब पेश किया जाएगा.

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