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Rajasthan News: 6 साल से क्यों नहीं हुई गोडावण की गणना? विलुप्तप्राय राज्य पक्षी को लेकर निष्क्रिय दिखा वन विभाग

विलुप्तप्राय राज्य पक्षी गोडावण की गणना 6 साल से नही हुई है. आखिरी गणना में 128 गोडावण की सूचना मिली थी. हालांकि इसकी गणना साल में 2 बार अलग-अलग पद्धति से होनी थी.

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Rajasthan News: 6 साल से क्यों नहीं हुई गोडावण की गणना? विलुप्तप्राय राज्य पक्षी को लेकर निष्क्रिय दिखा वन विभाग
फाइल फोटो

Rajasthan News: राज्य पक्षी गोडावण को लेकर सरकार और वन विभाग के दावे कागजी साबित हो रहे हैं. जिसकी वजह है विलुप्ति की दहलीज पर खड़े इस पक्षी की वास्तविक संख्या से अभी तक विभाग ही अनजान है. 6 साल से गणना न होने से हकीकत में कितने गोडावण है यह आकंडा पता नहीं चल पाया है. सर्वाधिक गोडावण पश्चिमी राजस्थान में पाया जाता है.

हालांकि ब्रिडिंग सेंटर में चल रहे प्रयास सफल रहे हैं. विलुप्ति की कगार पहुंचे दुर्लभ पक्षी गोडावण के संरक्षण के लिए वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूएलआई) देहरादून व राज्य का वन महकमा लगातार जुटा है. वहीं इसकी आबादी बढ़ाने और संरक्षण में हर संभव प्रयास किए जा रहे है. इसके तहत जैसलमेर में हेचिंग सेंटर भी बनाया गया है. ब्रीडिंग सेंटर के बाद से इस गणना की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

बारिश के कारण न हो सकी थी गणना

DNP के आंकड़ों के अनुसार 2017-18 में इसकी गणना हुई थी तब गोडावण की संख्या 128 थी. ऐसे में गोडावण पक्षी की वर्तमान संख्या को लेकर विभाग के अफसर केवल अंदाजा ही लगा रहे है. हालांकि हर साल वन विभाग द्वारा वाटर होल पद्धति से गोडावण की गणना की जाती है. पिछले साल बारिश की वजह से वाटर होल पद्धति से भी गणना नही हुई.

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हर साल 2 तरीके से होती है गोडावण की गणना 

गोडावण की गणना दो तरीके से की जाती है. हर साल वन विभाग द्वारा डीएनपी क्षेत्र के क्लोजर पर बने पोंड पर वाटर होल पद्धति से सभी पशु-पक्षियों की गणना की जाती है. जिसमें गोडावण भी शामिल होते है. इसके अलावा वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूएलआई) देहरादून द्वारा 12 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र बनाया जाता है. जिसके बाद करीब 60-65 टीमों द्वारा जिले भर के क्षेत्र में सिर्फ गोडावण के लिए ही यह गणना की जाती है. इसे वन विभाग द्वारा सटीक माना जाता है. इसके बावजूद 2017 -18 के बाद गोडावण की गणना नहीं की गई है.

इन्तजार में अटका रहा गणना का कार्य 

DNP के DFO आशीष व्यास का कहना है कि गोडावण संरक्षण को लेकर किए जा रहे प्रयास कई महीनो में सफल हो रहे है. आलम की पहले कोरोना फिर स्टाफ की कमी के कारण गणना नही हो पाई. अब हमारे पास स्टाफ की कोई कमी नहीं है. हमने उच्च अधिकारियों से बातचीत की है अब पत्राचार कर आगामी समय में बजट आने पर गणना कार्य करवाएंगे.'

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