Rajasthan News: वर्ष 2025 में हज के सफर पर जाने वाले आजमीन की आवेदन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब केन्द्रीय हज कमेटी ने दूसरे चरण की तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसी सिलसिले में केन्द्रीय हज कमेटी ने सभी राज्यों की हज कमेटियों को आवेदन पत्रों की जांच के बाद कवर नम्बर जारी करने के निर्देश दिए हैं. स्टेट हज कमेटी की तरफ से कल यानी 4 अक्टूबर को लॉटरी निकाली जाएगी. इसके बाद हज के सफर के लिए होने वाले खर्च की पहली किस्त जमा करना शुरू कर दिया जाएगा. हज कमेटी तीन किस्तों में आजमीन से रुपये जमा करवाती है.
हज यात्रा में 1 यात्री का खर्च 4.60 लाख रुपये
पिछले 24 सालों से हज ट्रेनर और हज अधिकारी के तौर पर सेवाएं देने वाले जमील अहमद मुगल बताते हैं कि इस्लाम को मानने वाले हर शख्स की तमन्ना होती है कि वो हज का सफर कर मक्का और मदीना में इबादतें करे. यही ख्वाहिश लिए हर मुस्लिम अपनी जिंदगी भर की जमा-पूंजी खर्च कर हज पर जाता है. जमील अहमद मुगल बताते हैं कि पिछले सालों के मुकाबले हज का सफर काफी महंगा हो गया है. इस साल हज पर जाने वाले आजमीन को 4 लाख 60 हजार रुपये खर्च करने पड़ेंगे. इसमें हवाई जहाज का किराया, मक्का, मदीना, मैदान-ए-अराफात और मुजदलिफा में ठहरना शामिल है. हज के सफर का हवाई किराया ही 1 लाख 5 हजार रुपये है.
भारत से 1.75 लाख आजमीन करेंगे हज यात्रा
इस बार भारत से जाने वाले आजमीन के लिए 1 लाख 75 हजार 25 सीटों का कोटा सऊदी अरब सरकार की तरफ से दिया गया है, जिसमें 70 प्रतिशत केन्द्रीय हज कमेटी को मिला है और 30 प्रतिशत प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स को दिया गया है. जबकि पहले ये कोटा 80-20 का था। 2014 के बाद भारत सरकार ने हज यात्रियों को हवाई किराए में दी जाने वाली सब्सिडी बन्द कर दी थी। हालाँकि ये ज़्यादा नहीं थी, मगर ग़रीब आज़मीन के लिए थोड़ी राहत थी। सब्सिडी बन्द हो जाने से भी हज का सफर थोड़ा महँगा हुआ है।
इस साल ठहरने के नियमों में हुआ थोड़ा बदलावजमील अहमद मुगल ने बताया कि इस बार सऊदी हुकूमत ने हज पर आ रहे लोगों के ठहरने के नियमों में बदलाव किया है. अब मर्द और औरत दोनों के लिए ठहरने के अलग-अलग इंतजाम किए जाएंगे. लेकिन होंगे एक ही बिल्डिंग में. भारत से जाने वाले आजमीन के लिए जहां मक्का में भारत सरकार अजीजिया इमारतों में रुकने का इंतजाम करती है, वहीं मदीना में ठहरने के इंतजाम सऊदी हुकूमत की तरफ से होते हैं. उधर मैदान-ए-अराफात में आजमीन को टेंट्स में रहना पड़ता है. उसका प्रबंध भी सऊदी अरब की सरकार ही करती है.
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