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International Women's Day: आईपीएस ऋचा तोमर, जिन्होंने चुनौतियों से बगावत कर बनाई अपनी अलग पहचान

IPS Richa Tomar: बांसवाड़ा में तैनात आईपीएस ऋचा तोमर की कहानी उन महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का काम करती है, जो शादी और बच्चे होने के बाद भी अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं. ऋचा तोमर के पति भी दिल्ली में असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस हैं.

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International Women's Day: आईपीएस ऋचा तोमर, जिन्होंने चुनौतियों से बगावत कर बनाई अपनी अलग पहचान
झालवाड़ एसपी आईपीएस अधिकारी ऋचा तोमर

Women's Day Special: कहते हैं कि जीवन में मुश्किलें हमें कमजोर करने के लिए नहीं, बल्कि मजबूत बनाने के लिए आती हैं. 2016 बैच की राजस्थान कैडर IPS ऋचा तोमर की संघर्ष की कहानी इसका बड़ा उदाहरण हैं. विश्व महिला दिवस के अवसर पर झालावाड़ जिले में पद स्थापित महिला ऑफिसर ऋचा तोमर के संघर्ष की कहानी बेहद प्रेरणादायी है.

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव के किसान की बेटी ऋचा तोमर के आईपीएस ऑफिसर बनने की कहानी संघर्षों भरी रही है, लेकिन आज वो कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, जिन्होंने जीवन में आई सभी चुनौतियों का डटकर सामना किया, जिसकी चर्चा अब हर जगह होती हैं.
संघर्ष से आईपीएस ऋचा तोमर ने बनाई पहचान

संघर्ष से आईपीएस ऋचा तोमर ने बनाई पहचान

वर्तमान में झालावाड़ जिले की एसपी ऋचा यूपी के बागपत जिले के हसनपुर जिवानी गांव से आती हैं. कुल 6 भाई-बहनों में चौथे नंबर पर आने वाली ऋचा के पिता एक किसान हैं, जिन्होंंने अपनी सभी संतानों को उच्च शिक्षा दिलाई .स्कूली दिनों से ही पढ़ाई में काफी कुशाग्र रहीं ऋचा की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बागपत शहर की  सरकारी विद्यालयों से  हुई है.

चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ से बीएससी टॉपर रही ऋचा ने पोस्ट ग्रेजुएशन माइक्रो बायोलॉजी से किया है. नेट परीक्षा और जेआरएफ पास करने वाली ऋचा तोमर ने वर्ष 2015 में यूपीएससी परीक्षा पास की थी, लेकिन गोद में 3 महीने का बच्चा होने से ऋचा ट्रेनिंग पर नहीं जा सकी.

एक एक्सक्लूजिव इंटरव्यू में ऋचा ने NDTV राजस्थान से ऋचा ने बताया कि आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान अपने बच्चे से दूर होना उनके लिए काफी मुश्किल भरा रहा था. ऋचा का बच्चा जब 1 साल होन गया तो उन्होंने सास-ससुर के पास उसे छोड़कर 2016 में आईपीएस ट्रेनिंग पूरी की. ऋचा आईपीएस ट्रैनिंग में अपने बैच की टॉपर्स में से एक रहीं.

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आईपीएस ट्रेनिंग के बाद ऋचा तोमर को राजस्थान कैडर अलॉट किया गया. वर्ष 2019 में उन्हें ऑल राउंड लेडी प्रोबेशनर के तौर पर 1973 आईपीएस बैच की ट्रॉफी भी दी गई थी‌. यह ट्रॉफी उस प्रोबेशनर को दी जाती है, जिसने ट्रेनिंग के दौरान सबसे बढ़िया प्रदर्शन किया हो.

बांसवाड़ा में तैनात आईपीएस ऋचा तोमर की कहानी उन महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का काम करती है, जो शादी और बच्चे होने के बाद भी अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं. ऋचा तोमर के पति भी दिल्ली में असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस हैं.

पहले ही बार में क्लियर किया यूपीएससी

ऋचा तोमर ने बताया कि उनकी लाइफ स्टाइल में यह संभव नहीं था कि वह लगातार कहीं रहकर कोचिंग करें और महंगी पढ़ाई का खर्च उठा सकें, ऐसे में उनके पिता के कुछ परिचित व्यक्ति जो इस लाइन में पहले निकल गए थे, उनसे गाइडेंस लेलकर मन लगाकर पढ़ाई कर पहले ही बार में यूपीएससी क्लियर कर लिया. उन्होंने बताया कि अगर वह पहली बार में क्लियर नहीं कर पाती तो आगे उनके लिए टिके रहना बड़ा ही मुश्किल हो जाता.

अपने बच्चे के साथ आईपीएस ऋचा तोमर

अपने बच्चे के साथ आईपीएस ऋचा तोमर

दूध पीते बच्चे को छोड़कर ट्रेनिंग करना था कठिन

यूपीएससी में सिलेक्शन से पहले ही आईपीएस ऋचा तोमर की शादी हो चुकी थी. उस वक्त ऋचा का बेटा कुछ ही महीना का था और खुद ऋचा भी फिजिकली फिट नहीं थी. यही वजह थी कि 2015 की बजाय 2016 बैच की ट्रेनिंग में जाना पड़ा. . ऐसे में आईपीएस की कठिन ट्रेनिंग ली. ऋचा ने सफलतापूर्वक न केवल ट्रेनिंग पूरी की, बल्कि बैच की टॉपर रहीं.

ऐसे आया अलग पहचान बनाने का ख्याल

आईपीएस ऋचा तोमर जब छोटी थी, तो उनके गांव के लोग अक्सर पूछते थे कि तुम कौन से नंबर की हो? यानी की लोग उन्हें नाम से नहीं, बल्कि उनके माता-पिता की चौथी संतान के रूप में पहचानते थे. फिर क्या था छोटी ऋचा ने ठान लिया कि वह अपनी पहचान बनाएंगी, ताकि लोग उन्हें उनके नाम से जाने और ऋचा तोमर किसी पहचान की मोहताज नहीं है.

तेज तर्रार अधिकारी के रूप में मशहूर हैं झालावाड़ एसपी ऋचा तोमर

तेज तर्रार अधिकारी के रूप में मशहूर हैं झालावाड़ एसपी ऋचा तोमर

जिंदगी को होलिस्टिक पैकेज बताती है ऋचा तोमर

जिंदगी एक होलिस्टिक पैकेज बताते हुए ऋचा तोमर कहती हैं ईश्वर सबको बराबर मौके देता है. किसी को कहीं कुछ ज्यादा मिल जाता है, तो दूसरी जगह कमी हो जाती है.इसी प्रकार से किसी और व्यक्ति को वहां ज्यादा मिल जाता है, जहां से आपको काम मिला है, लेकिन जहां आपको ज्यादा मिला है वहां से उसको कम मिला होता है.

कम्युनिटी पुलिसिंग से कानून व्यवस्था को सुधारा

करीब 2 साल से आईपीएस ऋचा तोमर झालावाड़ एसपी हैं, कम्युनिटी पुलिसिंग को लेकर झालावाड़ में ऋचा तोमर ने काफी काम किया है, जिससे जिले को कानून व्यवस्था को सुधारने में कामयाब रही है. पेचीदा आपराधिक मामलों को सरलता से सुलझाने में ऋचा तोमर बेजोड़ माना जाती हैं.मध्य प्रदेश की सीमा से सटे झालवाड़ में तस्करी से जुड़े अपराधों पर अंकुश में ऋचा तोमर काफी हद तक कामयाब रही है.

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