
राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा (Ram Mandir Pran Pratishta) समारोह को लेकर पूरे देश में उत्साह की लहर है. इस बीच रविवार 21 जनवरी को अंगिका भाषा में लिखी रामचरितमानस (Angika Ramcharitmanas) का विमोचन नोएडा सेक्टर 70 में हुआ. अखिल भारतीय राढी कायस्थ संगठन के बैनर तले नोएडा सेक्टर 70 स्थित क्लब हाउस, पैन ओएसिस में आयोजित एक कार्यक्रम में अंगिका रामचरितमानस का विमोचन किया गया. जिसमें अंगिका रामचरितमानस की रचयिता कुमारी रूपा भी मौजूद रहीं. उन्होंने एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए इस महान कृति पर चर्चा की.
मालूम हो कि अंगिका बिहार के भागलपुर, बांका, मुंगेर और आस-पास के जिलों की भाषा है. साथ ही झारखंड के कुछ भागों में भी अंगिका बोली जाती है. यूं तो अंगिका में कई साहित्य की रचना हुई है. लेकिन अंगिका भाषा में रामचरितमानस की रचना पहली बार हुआ है.
अंगिका रामचरितमानस की रचयिता कुमारी रूपा ने कहा कि इसे लिखने में उन्हें तीन साल का समय लगा. उन्होंने बताया कि दिल्ली में रहने वाले अखिल भारतीय अंगिका समाज के लोगों की प्रेरणा से वो इस महाकाव्य को लिपिबद्ध कर पाने में सफल हुई.
एक मजाक से शुरू हुआ था लेखन
अंगिका रामचरितमानस की लेखिका कुमारी रूपा ने बताया कि इसके लेखन की शुरुआत एक मजाक से हुई थी. लेकिन भगवान श्रीराम की कृपा से आज यह महाकाव्य अपने पूर्ण रूप में आ चुका है. उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले अंगिका भाषी समाज के बीच उन्होंने अंगिका में एक संदेश लिखा था. जिसकी लोगों ने खूब सराहना की थी. इसी दौरान मजाक-मजाक में यह बात हुई कि एक संदेश तो क्या मैं अंगिका में रामायण लिख सकती हूं. फिर कुछ दिनों बाद लोगों की प्रेरणा से उन्होंने अंगिका रामचरितमानस का बीड़ा उठाया और आज यह महाकाव्य पूर्ण रूप में अंगिका भाषियों के लिए उपलब्ध है.

अंगिका रामचरितमानस के साथ उसकी रचयिता कुमारी रूपा.
बांका के अमरपुर की रहने वाली हैं कुमारी रूपा
अंगिका रामचरितमानस की लेखिका कुमारी रूपा बिहार के बांका जिले के अमरपुर थाना क्षेत्र की गोरई जानकीपुर गांव की रहने वाली हैं. हालांकि अब बच्चों के साथ नोएडा में रहती हैं. उन्होंने बताया कि हम अपने अंग क्षेत्र से भले ही दूर हुए हो लेकिन अब भी दिल में अंगिका जिंदा है. कुमारी रूपा ने बताया कि अंगिका बिहार की सबसे पुरानी भाषा है. इसी से बिहार की अन्य भाषाओं का जन्म हुआ है.
कई उपन्यास, कविताएं लिख चुकी हैं कुमारी रूपा
कुमारी रूपा इससे पहले भी कई उपन्यास, कविताओं की रचना कर चुकी हैं. हालांकि अंगिका भाषा में यह उनकी पहली रचना है. उन्होंने बताया कि अंगिका रामचरितमानस की रचना के दौरान ही उन्होंने अंगिका में कई कविताएं लिखी. जो अंगिकाभाषियों द्वारा काफी पसंद की जा रही है.

अंगिका रामचरितमानस के विमोचन कार्यक्रम में मौजूद अखिर भारतीय राठी कायस्थ समाज के लोग.
अंगिका के मूर्धन्य विद्वानों ने भी की सराहना
नेशन प्रेस द्वारा प्रकाशित अंगिका रामचरितमानस ऑनलाइन मर्चेंट शॉप फ्लिपकार्ड, अमेजन के साथ-साथ नेशनप्रेस की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं. अंगिका रामचरितमानस की रचयिता कुमारी रूपा ने कहा कि अंगिका के मूर्धन्य विद्वान डॉ. अमरेंद्र सिन्हा, डॉ. मधुसूदन झा ने भी इसकी सराहना की है.
कुमारी रूपा ने अंगिका रामचरितमानस के कवर पेज पर लिखा है-
"अनुज जानकी सहित हे राम, धनुष बाण धरि हाथ
हमरो ह्रदय गगन रो चांद बनी बसों सदा निष्काम"
यह भी पढ़ें -
अंतरिक्ष से कैसा दिखता है अयोध्या का भव्य राम मंदिर, ISRO ने जारी की सैटेलाइट तस्वीर
Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.