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बार-बार गले में दर्द? हो सकता है टॉन्सिल्स की समस्या, जानें उपाय

गले में खराश, तेज दर्द, निगलने में कठिनाई, बुखार, सिरदर्द और सांस से बदबू आना इसके प्रमुख संकेत हैं. ठंडी, तली या भारी चीजें ज्यादा खाना, ठंडी हवा या बर्फ के संपर्क में आना, दिन में सोना और पाचन की कमजोरी ये सब कारण टॉन्सिल्स को बढ़ावा देते हैं.

बार-बार गले में दर्द? हो सकता है टॉन्सिल्स की समस्या, जानें उपाय
प्रतीकात्मक फोटो

अक्सर बच्चों और बड़ों में गले में दर्द, सूजन या निगलने में तकलीफ जैसी समस्या होती है. यही परेशानी अगर बार-बार हो, तो इसका कारण टॉन्सिल्स यानी तुण्डिकेरी हो सकता है. गले के दोनों ओर दो छोटी ग्रंथियां होती हैं जिन्हें टॉन्सिल्स कहा जाता है. ये शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली का हिस्सा हैं और मुंह या नाक से आने वाले कीटाणुओं को रोकती हैं. लेकिन जब इनमें ही संक्रमण हो जाता है, तो यही हमारे लिए दिक्कत बन जाती हैं. आयुर्वेद के अनुसार, तुण्डिकेरी कफ और पित्त दोष की गड़बड़ी से होती है. जब शरीर में आम यानी विषैले तत्व बढ़ जाते हैं और पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, तो गले की ग्रंथियां सूज जाती हैं. इससे दर्द, बुखार और निगलने में तकलीफ होती है.

ठंडी चीजों से परहेज करें

गले में खराश, तेज दर्द, निगलने में कठिनाई, बुखार, सिरदर्द और सांस से बदबू आना इसके प्रमुख संकेत हैं. बच्चों में चिड़चिड़ापन और खाना न खाने जैसी समस्या भी देखी जाती है. ठंडी, तली या भारी चीजें ज्यादा खाना, ठंडी हवा या बर्फ के संपर्क में आना, दिन में सोना और पाचन की कमजोरी ये सब कारण टॉन्सिल्स को बढ़ावा देते हैं. दूषित पानी या अस्वच्छ भोजन भी संक्रमण का कारण बन सकते हैं. सबसे पहले ठंडी चीजों से परहेज करें. दिन में कई बार गर्म पानी से गरारे करें. गुनगुना पानी पीने की आदत डालें. तुलसी, अदरक, मुलेठी और पिप्पली की चाय सुबह-शाम पीने से गले को काफी राहत मिलती है. भोजन हल्का, गर्म और पचने योग्य लें. बच्चों को ठंडा पानी या आइसक्रीम देने से बचें.

तुलसी-अदरक की चाय पीएं

सिंहासन गले की मांसपेशियों को मजबूत करता है, उज्जयी प्राणायाम गले को साफ रखता है, और जल नेति जैसी क्रियाएं संक्रमण से बचाव में मददगार हैं. गुनगुने पानी में आधा चम्मच हल्दी और एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर दिन में दो-तीन बार गरारे करें. इससे सूजन कम होती है. तुलसी-अदरक की चाय पीएं.

7-8 तुलसी की पत्तियां और थोड़ा अदरक उबालकर शहद मिलाएं. यह गले को राहत देती है और इम्यूनिटी बढ़ाती है. मुलेठी पाउडर शहद के साथ मिलाकर चाटने से खराश और जलन में आराम मिलता है. अजवायन, काली मिर्च और हल्दी उबालकर पीने से कफ कम होता है और संक्रमण मिटता है. त्रिफला चूर्ण रात को गर्म पानी के साथ लेने से शरीर से विषाक्त पदार्थ निकलते हैं और पाचन सुधरता है.

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