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'वन नेशन, वन इलेक्शन' से क्या बदलेगा, शीतकालीन सत्र में सरकार ला सकती विधेयक

One Nation One Election: देश में 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव हुए थे. हालांकि, कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण यह चक्र बाधित हुआ था.

'वन नेशन, वन इलेक्शन' से क्या बदलेगा, शीतकालीन सत्र में सरकार ला सकती विधेयक
फाइल फोटो

One Nation One Election: मोदी कैबिनेट ने बुधवार को 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (एक राष्ट्र एक चुनाव) को मंजूरी दे दी. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली कमेटी ने इस पर एक रिपोर्ट दी थी. जिसमें पहले चरण में लोकसभा के साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने का सुझाव दिया गया था. एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह एक ऐसा विषय है, जो हमारे राष्ट्र को मजबूत करेगा. 

शीतकालीन सत्र में विधेयक ला सकती सरकार

सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में एक राष्ट्र एक चुनाव से जुड़े विधेयक को पेश कर सकती है. एक राष्ट्र, एक चुनाव में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव है. कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कमिटी की सिफारिशों पर देश की सभी मंचों पर इस पर चर्चा की जाएगी. सभी नौजवानों, कारोबारियों, पत्रकारों समेत सभी संगठनों से इस पर बात होगी.

इसके बाद इसे लागू करने के लिए ग्रुप बनाया जाएगा. फिर कानूनी प्रक्रिया पूरी कर इसे लागू किया जाएगा. बता दें कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को मंजूरी देना मोदी सरकार के 100 दिवसीय एजेंडे में शामिल था. पीएम मोदी ने कई बार देश में एक साथ चुनाव कराने की आवश्यकता और महत्व के बारे में बात की. साथ ही उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि कैसे देश पूरे साल चुनावी में रहने के लिए कीमत चुकाता है.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "देश के इस बड़े चुनाव सुधार 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की प्रक्रिया दो चरणों में होगी. पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ में कराए जाएंगे. उसके दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनाव 100 दिन के भीतर करवा लिए जाएंगे." 

संसाधनों की होगी बचत- कमेटी

रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इस साल मार्च में रिपोर्ट प्रस्तुत की और राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा सामान्य मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की सिफारिश की. रिपोर्ट में कहा गया कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी. बाधाएं दूर होंगी. हालांकि, विपक्ष 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार से खुश नहीं है.

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देश में कब-कब हुए एक साथ चुनाव 

कांग्रेस, आप और अन्य सहित कई विपक्षी दलों ने इस तरह की चुनावी प्रथा के खिलाफ अपनी नाराजगी और असंतोष व्यक्त किया है और भाजपा पर मौजूदा प्रणाली को खत्म करके देश में राष्ट्रपति प्रणाली लागू करने का आरोप लगाया है.  'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार पहली बार 1980 के दशक में प्रस्तावित किया गया था. इससे पहले, 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव हुए थे. हालांकि, कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण यह चक्र बाधित हुआ था.

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