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पिता-पुत्र का अनूठा स्टार्टअप संभाल रहा अंतिम संस्कार का मैनेजमेंट; एंबुलेंस से अस्थि विसर्जन तक की सुविधा, रोने के लिए लोग भी दे रहे

Cremation Startup: समय कितना तेजी से बदल रहा है इसका एक बड़ा उदाहरण राजस्थान के जोधपुर जिले से सामने आया है. यहां पिता-पुत्र ने मिलकर अंतिम सत्य नामक एक ऐसे स्टार्टअप की शुरुआत की है, जो किसी की व्यक्ति की मौत पर उनके अंतिम संस्कार का पूरा पैकेज देती है. इस अनूठे स्टार्टअप में अंतिम संस्कार से अस्थि विसर्जन और रोने के लिए महिला-पुरुष उपलब्ध कराने तक की सुविधा देते हैं.

पिता-पुत्र का अनूठा स्टार्टअप संभाल रहा अंतिम संस्कार का मैनेजमेंट; एंबुलेंस से अस्थि विसर्जन तक की सुविधा, रोने के लिए लोग भी दे रहे
अंतिम संस्कार मैनेजमेंट का एक अनूठा स्टार्टअप राजस्थान में शुरू किया गया है.

Cremation Startup: बदलते दौर में आपने कई नए स्टार्टअप देखें और सुने होंगे. लेकिन जोधपुर में एक पिता और पुत्र ने एक अनूठे स्टार्टअप की शुरुआत की है. जिसका नाम है 'अंतिम सत्य'. आमतौर पर शादी या मांगलिक कार्यों में आपने कहीं इवेंट कंपनियों को अरेंजमेंट करते देखा होगा. लेकिन जोधपुर के इस पिता और पुत्र का अंतिम सत्य नाम का यह अनूठा स्टार्टअप किसी परिवार में होने वाली मृत्यु पर उन्हें विशेष पैकेज के आधार पर 15 से अधिक सुविधाएं मुहैया करवा रहा है. जिसमें शोकाकुल परिवार के घर अंतिम संस्कार से लेकर अस्थि विसर्जन तक का कार्य यह कंपनी कर रही है और यही नहीं रोने और धोने के लिए महिला और पुरुष भी कंपनी उपलब्ध करवाती है.

एक रिश्तेदार की मौत से मिली प्रेरणा 

इस अनूठे स्टार्टअप की शुरुआत करने वाले कंपनी को-फाउंडर गजेंद्र पारीक ने एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए बताया कि इस अनूठी स्टार्टअप को शुरू करने की प्रेरणा हमें उसे समय मिला जब उनके परिवार के एक रिश्तेदार के यहां मृत्यु होने पर वह उसमें सम्मिलित होने गए थे. जहां वह परिवार आर्थिक रूप से भी पूर्ण संपन्न था, लेकिन दुर्भाग्य ऐसा था कि इतने लोगों के वहां होने के बावजूद भी किसी को अर्थी बनाना भी नहीं आ रहा था. सभी एक दूसरे का मुंह ताक रहे थे. 

अंतिम संस्कार की जुड़ी 15 सेवाएं दे रही कंपनी

जहां उसे स्थिति में सबसे पहले मैंने शुरूआत करते हुए वहां अपने हाथों से अर्थी बनाई क्योंकि यह जानकारी उन्हें विरासत में मिली है. जहां उसके बाद से हमें यह प्रेरणा मिली कि इस प्रकार का एक नया स्टार्टअप करना चाहिए क्योंकि आज भी कहीं ऐसे सर्व संपन्न परिवार है जो पैसे से तो परिपूर्ण होते हैं. लेकिन दुख घड़ी में ना तो उन्हें कोई संबल देने वाला मिल पाता है और ना ही इस प्रकार की कार्य करने वाला जहां संभवत यह प्रदेश की पहली ऐसी अनूठी कंपनी है जो 15 से अधिक सेवाएं देती है जहां हमारा मकसद पैसा कमाना नहीं बल्कि सेवा करना.

अंतिम सत्य नामक इस स्टार्टअप में दाह-संस्कार और श्राद्ध कर्म की पूरी सुविधा दी जा रही है.

अंतिम सत्य नामक इस स्टार्टअप में दाह-संस्कार और श्राद्ध कर्म की पूरी सुविधा दी जा रही है.

मौत के बाद शव ले जाने के लिए एंबुलेंस से लेकर अस्थि विसर्जन तक की सुविधा

कंपनी के को फाउंडर गजेंद्र पारीक ने एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए बताया कि कंपनी की शुरुआत के बाद हमने एक वेबसाइट भी लॉन्च की जिस पर भी ऑनलाइन आवेदन कोई भी कर सकता है जहां अब तक हमने 6 से अधिक लोगों को यह सेवा दे चुके हैं. जहां हमने 15 से अधिक पैकेज की भी सुविधा इसमें दे रखी है. जिसमें किसी की मृत्यु होने पर अस्पताल से पार्थिव देह को एंबुलेंस से उनके घर और फिर अंतिम संस्कार से लेकर अस्थि विसर्जन तक का कार्य कंपनी अपनी पूरी टीम के साथ करती है. 

जल्द ही उदयपुर और जयपुर में भी खोला जाएगा ब्रांच

इसके अलावा प्रख्यात विद्वान ब्राह्मण और पंडितों द्वारा सनातन संस्कृति के अनुसार अनुष्ठान भी करवाया जाता है जिसमें चाहे तीसरे की बैठक हो या बाहरवें पर होने वाली डांगरी रात या भजन संध्या कंपनी सारी सुविधाएं उसे का कुल परिवार को उपलब्ध करवाती है गजेंद्र पारीक ने बताया कि अब जल्द ही जोधपुर के बाद राजस्थान के उदयपुर और जयपुर में भी कंपनी की एक ब्रांच स्थापित करेंगे जिससे वहां भी जल्द ही अब कंपनी की यह सारी सुविधाएं उपलब्ध हो सकेगा.

मुख्य रूप से कंपनी दे रही यह सेवाएं

- शव को अस्पताल से घर लाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा.
- अगर शव को रात भर घर पर रखना है तो फ्रीजर बॉक्स की सुविधा.
- अगले दिन स्वर्गाश्रम ले जाने से पहले विद्वान पंडित की देखरेख में मृत शरीर को नहलाना और मंत्रोचारण के साथ पूर्ण रूप से तैयार करना.
- सनातन धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार की सामग्री की उपलब्धता.
- शव को स्वर्गाश्रम ले जाने के लिए शव वाहन (राम रथ) की उपलब्धता.
- स्वर्गाश्रम पहुंचने पर कम से कम लकड़ियों का उपयोग करके अंतिम संस्कार मंत्रोचारण के द्वारा पूर्ण कराते है, क्यों की एक शव का दाह संस्कार करने में लोग एक पेड़ की बलि दे देते है.
- अगली अल सुबह हमारे पंडितजी शोकाकुल परिवार के किसी सदस्य के साथ अस्थियां वैदिक रीति से बिनते है और तर्पण के लिए तैयार करते है.
- तीसरे दिन शोक सभा (उठावणा) की व्यवस्था करना.
- चौथे या पांचवे दिन (मुहूर्त के हिसाब से) हरिद्वार और पुष्कर में अस्थि विसर्जन के लिए पंडित जी के साथ परिवार के सदस्य का प्रस्थान.
- नौंवे दिन घाट पर पंडितजी के द्वारा नमिये की क्रिया कराना.
- ग्यारवें दिन घाट पर नारायण बलि संपन्न कराना व उसी दिन रात में रात्रि जागरण (डांगड़ी रात) का आयोजन.

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