
Rajasthan High Court News: राजस्थान हाईकोर्ट न्यायाधीश कुलदीप माथुर की एकलपीठ में संजीवनी क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी के मुख्य आरोपी विक्रमसिंह की ओर से पेश आपराधिक याचिका पर सुनवाई के बाद उसे बहस के लिए रखा गया है. एकलपीठ में याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने याचिकाकर्ता के विरूद्ध करीब 153 मुकदमों की सूची पेश की है. इनमें कुछ मुकदमों में चालान पेश हो गया है और कुछ में ट्रायल चल रहा है. सुनवाई के दौरान जोधपुर पुलिस कमिश्नर राजेन्द्रसिंह, एडिशनल एसपी, डिप्टी एसपी और सीआई स्तर के अलग-अलग जिले से 17 अधिकारी मौजूद रहें. कोर्ट ने 26 फरवरी को मामले पर बहस करने के निर्देश दिए है.
याचिकाकर्ता ने रिहाई कि लगाई गुहार
याचिकाकर्ता विक्रमसिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता धीरेन्द्रसिंह दासपा और उनकी सहयोगी अधिवक्ता प्रियंका बोराणा ने कोर्ट में याचिका पेश कर बताया कि याचिकाकर्ता के विरूद्ध बड्रर्स एक्ट और आईपीसी की धाराओं में कई मामले दर्ज है. सभी मामलों को एक साथ क्लब किया जाए. कुछ की गिरफ्तारी पर रोक है, ऐसे में याचिकाकर्ता को करीब साढ़े 4 साल से जेल में बंद कर रखा गया है. याचिका में प्रार्थना की गई है कि याचिकाकर्ता के विरूद्ध सम्पूर्ण प्रक्रिया को निरस्त कर गिरफ्तारी और कस्टडी को विधि विरूद्ध घोषित कर रिहा किया जाए.
एक्ट में किया गया प्रावधान
याचिका में कहा गया कि एफआईआर संख्या 32 /2019 में करीब साढ़े 4 साल से जेल में बंद कर रखा है. बड्रर्स एक्ट मुख्य तौर से स्पेशल एक्ट है. जिसकी प्रक्रिया और अनुसंधान करने का प्रावधान विधि में विशेष अनुसंधान अधिकारी और विशेष न्यायालय को दिया गया है. एक्ट में प्रावधान है कि यदि कोई मुकदमा दर्ज है तो एक्ट के तहत ही अनुसंधान किया जाए. कोई भी मुकदमा बड्रर्स एक्ट और आईपीसी में दर्ज है, तो उसके ट्रायल का अधिकारी भी विशेष न्यायालय का होगा. याचिकाकर्ता के विरूद्ध दोनों ही एक्ट के तहत मुकदमा होने से उसका विचारण विशेष न्यायालय में हो.
26 फरवरी की अगली सुनवाई
वहीं याचिकाकर्ता और सह अभियुक्तगणों के खिलाफ मुकदमा है. जिसमें हाईकोर्ट ने कुछ सह अभियुक्तगणों के पक्ष में गिरफ्तारी पर रोक का आदेश दिया है और कुछ अभियुक्त के पक्ष में चार्जशीट पर भी रोक है. उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि इस मामले में रिहा किया जाए. कोर्ट ने इस मामले में 26 फरवरी को अगली सुनवाई रखी गई है.
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