
Rajasthan: देश की पश्चिमी सरहद पर रेत के समंदर के बीच सरहदों की रखवाली का जिम्मा BSF के जवानों के कंधों पर है. और रेत के दरिया मैन का सच्चा साथी रेगिस्तान का जहाज ऊंट है. जवानों की तरह ही BSF में ऊंटों की भी भर्ती, ट्रेनिंग और रिटायर भी किया जाता है. बीएसएफ से 59 ऊंट रिटायर हो चुके हैं. बीएसएफ, सेक्टर मुख्यालय जैसलमेर-उत्तर के उप महानिरीक्षक योगेन्द्र सिंह राठौड़ ने एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर इन रियायर्ड ऊंटों को नया जीवन देने का प्रयास किया है.
रिटायर्ड ऊंटों को ग्रामीणों को सौंपा
कार्यक्रम में बीएसएफ से रिटायर्ड ऊंटों को सीमा के पशुपालकों और पशुप्रेमियों को सौंप दिया. ये लोग इन रिटायर्ड ऊंटों की देखभाल करेंगे. ग्रामीणों से अपील की है कि वे इन ऊंटों की सम्मानपूर्वक देखरेख करें, और उन्हें नया परिवार का माहौल दें. इस आयोजन से ग्रामीणों में उत्साह देखने को मिला.
ग्रामीणों ने ऊंटों की देखभाल का लिया जिम्मा
उन्होंने BSF के इस प्रयास की प्रशंसा की. पशुपालकों ने भरोसा दिलाया कि वे इन ऊंटों की देखभाल पूरी जिम्मेदारी और स्नेहपूर्वक करेंगे. वो देश के रक्षक ऊंटों को उचित आहार, समय-समय पर स्वास्थ्य जांच, चिकित्सा सहायता और सम्मानजनक व्यवहार करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वे समय-समय इन ऊंटों की स्थिति की जानकारी बीएसएफ को देंगे.
बीएसएफ ने ग्रामीणों का जताया आभार
ग्रामीणों ने इस सराहनीय पहल को निरंतर जारी रखने की मांग की. उन्होंने कहा कि इस प्रकार की पहल ना केवल BSF और नागरिकों के बीच विश्वास को सुदृढ़ करती है, बल्कि समाज में सह-अस्तित्व और सहयोग की भावना को भी प्रोत्साहित करती है. कार्यक्रम के अंत में बीएसएफ अधिकारियों ने सभी ग्रामीणों को धन्यवाद दिया, और आश्वस्त किया कि बीएसएफ न केवल राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा के लिए, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास और सहयोग के लिए सदैव तत्पर रहेगी.
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