Ajmer Sharif Dargah: राजस्थान के अजमेर की शरीफ दरगाह इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है, इसकी वजह यहां मंदिर होने का दावा है. दरअसल निचली अदालत ने अजमेर दरगाह शरीफ को हिंदू मंदिर बताने की याचिका को स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए 20 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है. इस घटना को लेकर एनडीटीवी ने चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष हाजी सैयद सलमान चिश्ती से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने कहा कि ये बेहद दुख की बात है कि किसी क्रिमिनल बैकग्राउंड के व्यक्ति ने ये काम किया है और कोर्ट ने उसे बिना जांच के मान भी लिया है.
किस सबूत पर मानी गई याचिका
हाजी सैयद ने आगे कहा कि हमारा देश दुनिया में अमन प्यार और चैन के नाम से जाना जाता है. जिसमें कोई शख्स जिसका खुद का कोई वजूद नहीं है. वह खुद को अजमेर शरीफ के नाम से प्रदर्शित कर रहा है और देश विरोधी ताकतों का खुलकर समर्थन कर रहा है. आगे उन्होंने कहा कि इस याचिका को किस सबूत पर माना गया है ये तो उसे मानने वाले ही बता सकते हैं. किसी एक किताब का हवाला दिया गया है जिसकी खुद की कोई तारिक नहीं है. हम यहां 800 साल पुरानी बात कर रहे हैं, कोई 50-70 साल पुरानी किताब की बात नहीं कर रहे है.
मीडिया और कोर्ट को किया गया गुमराह
सर्वे को रोकने के ऊपर सवाल पूछने पर सैयद सलमान चिश्ती ने कहा कि मैं अभी भारत देश से बाहर हूं. मेरी दिल्ली में भी बात हुई है. देश में आने के बाद कोशिश की जाएगी की इस मुद्दे को अधिक नहीं बढ़ाया जाए. आगे उन्होंने कहा कि इस मामले में कोर्ट और मीडिया को गुमराह किया गया है. वहीं मीडिया ने इस खबर को जिस तरह से छापा है. वह बहुत बड़ी साजिश हिस्सा है. आगे उन्होंने कहा की हमें झूठ के खिलाफ लड़ने के लिए संविधान में जो शक्तियां दी गई है. उसका इस्तेमाल करते हुए देश के खिलाफ चल रही इस साजिश को हम रोक देंगे.