
Health News: बाकुची जिसे बावची या बकुची के नाम से भी जाना जाता है आयुर्वेद की एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो त्वचा की समस्याओं के लिए वरदान है. इसके बीजों में पाया जाने वाला प्सोरालेन सूरज की रोशनी के साथ मिलकर मेलानिन बढ़ाता है. इससे सफेद दाग (विटिलिगो) सोरायसिस एग्जिमा और खुजली जैसी बीमारियों में आराम मिलता है. बाकुची का तेल त्वचा को निखारता है और संक्रमण को कम करता है. डैंड्रफ से परेशान लोग इसके तेल को सिर में लगाकर राहत पा सकते हैं.
कई बीमारियों में फायदेमंद
आयुर्वेद सिद्ध और यूनानी चिकित्सा में बाकुची का खास स्थान है. यह कफ और वात को संतुलित करती है. पेट के कीड़े बवासीर यकृत की समस्याएं घाव और मूत्र रोगों में भी यह कारगर है. इसके एंटी-ऑक्सीडेंट और सूजन कम करने वाले गुण गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसे रोगों में मदद करते हैं. बाकुची हड्डियों को मजबूत करती है और जोड़ों के दर्द से राहत देती है.
आधुनिक शोध और नए फायदे
हाल के अध्ययनों ने बाकुची के और भी गुण सामने लाए हैं. इसके कुछ तत्व कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोक सकते हैं. साथ ही यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक है जो मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी है. प्रजनन क्षमता बढ़ाने में भी यह मददगार साबित होती है.
सावधानी है जरूरी
बाकुची के ढेरों फायदों के बावजूद इसका इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए. बिना डॉक्टर की सलाह के ज्यादा उपयोग से त्वचा में जलन या धूप के प्रति संवेदनशीलता हो सकती है. आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह लेना सबसे बेहतर है.
आयुष मंत्रालय की मान्यता
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय भी बाकुची के औषधीय गुणों को मान्यता देता है. यह जड़ी-बूटी प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का अनूठा संगम है. सही उपयोग से बाकुची स्वस्थ जीवन का राज खोल सकती है.