
Organ Transplant Case: अंग प्रत्यारोपण के फर्जी एनओसी देने के मामले में अंततः राजस्थान की ओर से एफआईआर दर्ज कर ली गई है. स्वास्थ्य विभाग ने जवाहर सर्किल थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. राजस्थान में बीते 1 साल के दौरान 900 से अधिक ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए. साथ ही 163 विदेशियों का भी ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ. इनमें से किसी के लिए भी एनओसी नहीं जारी की गई. एसीबी पहले से इस मामले की जांच कर रही है. अब इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है. इस मामले में अंतरराष्ट्रीय रैकेट के सक्रिय होने का संदेह है.
एसीबी ने इस मामले में फोर्टिस अस्पताल, इएचसीसी अस्पताल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर, मणिपाल अस्पताल के पूर्व कॉर्डिनेटर एवं एसएमएस अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी को गिरफ्तार किया है.
राजस्थान की ओर से जवाहर सर्किल थाने में एफआईआर दर्ज
मानव अंगों के नियम विरूद्ध प्रत्यारोपण, इसके लिए फर्जी एनओसी जारी किए जाने तथा अंग प्रत्यारोपण में अंतरराष्ट्रीय रैकेट सक्रिय होने की जानकारी सामने आने पर समुचित प्राधिकारी, मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण, राजस्थान की ओर से जवाहर सर्किल थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई है.
अब तक क्या हुआ
उल्लेखनीय है कि मानव अंग प्रत्यारोपण के लिए रिश्वत लेकर फर्जी एनओसी जारी करने की सूचना मिलने पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने स्वप्रेरित संज्ञान लिया था. उन्होंने एक उच्च स्तरीय बैठक लेकर इस प्रकरण में त्वरित जांच एवं कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. विभाग की इस पहल के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने प्रकरण में शामिल एसएमएस एवं निजी अस्पतालों के कार्मिकों को गिरफ्तार किया था.
समुचित प्राधिकारी डॉ. रश्मि गुप्ता ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग की इस पहल के बाद समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों से सामने आया कि जयपुर के एक निजी अस्पताल में लोगों को लाया जाता और उनकी किडनी निकालकर उन्हें गुरूग्राम भेज दिया जाता. इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का रैकेट सक्रिय बताया गया. सहायक पुलिस आयुक्त, मालवीय नगर, जयपुर द्वारा इस संबंध में गुरूग्राम जाकर जांच की गई.
जांच में पाया गया कि कुछ बांग्लादेश के निवासियों द्वारा जयपुर के एक निजी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट करवाया गया. जांच के अनुसार किडनी डोनर एवं किडनी रिसीवर आपस में रिश्तेदार या ब्लड रिलेशन में नहीं थे. ना ही एक दूसरे को जानते थे. उनके बयानों के अनुसार निजी अस्पताल प्रशासन, ऑथराइजेशन कमेटी या किसी अन्य चिकित्सक द्वारा उन्हें किसी तरह की एनओसी प्रस्तुत करने के लिए भी नहीं कहा गया. ना ही किडनी डोनर एवं रिसीवर के बीच ब्लड रिलेशन प्रमाणित करने के कागजात मांगे गए. उनसे कुछ खाली कागजों पर हस्ताक्षर करवाए गए तथा फर्जी एनओसी बनाने के लिए पैसे भी लिए गए. जांच के अनुसार इस प्रकरण में शामिल दलाल मुर्तजा अंसारी, निजी अस्पताल प्रशासन तथा डॉक्टर्स ने मिलकर किडनी रिसीवर एवं किडनी डोनर के साथ धोखाधड़ी कर पैसे हड़पे हैं.
चिकित्सा शिक्षा विभाग के स्वप्रेरित संज्ञान के बाद समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों एवं पुलिस जांच में सामने आए तथ्यों के दृष्टिगत मामले में प्रभावी जांच के लिए बुधवार को समुचित प्राधिकारी ने जवाहर सर्किल थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है.
गौरतलब है कि इससे पहले फर्जी मेडिकल जांचों एवं दस्तावेजों के आधार पर सिलिकोसिस नीति के तहत नियम विरूद्ध लाभ लेने के मामले में भी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने स्वप्रेरित संज्ञान लेकर प्रकरण को उजागर किया था और दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई की थी.
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