Dr. Mohan Yadav MP CM Profile: उज्जैन दक्षिण से विधायक डॉ. मोहन यादव मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री चुने गए हैं. सोमवार को हुई विधायक मंडल की बैठक में सर्वसम्मति डॉ. यादव को विधायक दल का नेता चुना गया. मध्य प्रदेश के नए सीएम डॉ. मोहन यादव ने काफी संघर्ष के बाद राजनीति में यह मुकाम हासिल की है. मध्य प्रदेश में दो डिप्टी सीएम भी बनाए जाएंगे. वहीं, पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है.
डॉ. मोहन यादव को मंत्री पद तक पहुंचने के लिए 41 वर्षों तक संघर्ष करना पड़ा था अब उन्हें एमपी का मुख्यमंत्री बनाया गया है. माधव विज्ञान महाविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत करने वाले डा. मोहन यादव पार्टी में कई पदों पर रहने के बाद उन्हें मंत्री बनने का मौका मिला है. कई बार अपने बयानों को लेकर प्रदेश की राजनीति में चर्चा में रहे डा. यादव वर्ष 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव और 1984 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं.
डा. यादव का राजनीतिक इतिहास
उज्जैन शहर में जैन, ब्राह्मण, ठाकुर, बेरवा समाज की तुलना यादव समाज की आबादी काफी कम है. इसके बावजूद महत्वपूर्ण पदों पर यादव समाज के प्रत्याशी काबिज है. दक्षिण उज्जैन की बड़नगर सीट से यादव समाज के शांतिलाल धबाई दो बार विधायक रह चुके हैं. इस शांतिलाल दवाई का टिकट कटा तो उज्जैन दक्षिण से मोहन यादवने जीत दर्ज की. मोहन यादव तीन बार विधायक रह चुके हैं, जबकि उनकी बड़ी बहन कलावती यादव उज्जैन नगर निगम की सभापति हैं.
तीन बच्चों के पिता हैं मोहन यादव
डॉ. मोहन यादव उज्जैन दक्षिए विधानसभा सीट से विधायक हैं. उनका जन्म 25 मार्च 1965 को हुआ था. पिता का नाम पूनमचंद यादव है. मोहन यादव के दो बेटे और एक बेटी हैं. मोहन यादव की पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने एमबीए, एलएलबी के साथ पीएचडी भी किया है. साथ ही उनका परिवार कारोबार और कृषि क्षेत्र से भी जुड़ा है.
1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री और सन 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री रह चुके हैं. 1993-95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस), उज्जैन नगर के सह खंड कार्यवाह, सायं भाग नगर कार्यवाह और 1996 में खण्ड कार्यवाह और नगर कार्यवाह रहे हैं.
संघ में सक्रियता की वजह से बनाई अपनी विशेष जगह
संघ में सक्रियता की वजह से मोहन यादव 1997 में भाजयुमो प्रदेश समिति में अपनी जगह बनाई. 1998 में उन्हें पश्चिम रेलवेबोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य भी बने. इसके बाद उन्होंने संगठन में रहकर अलग-अलग पदों पर काम किया. 2004-2010 के बीच वह उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा) रहें.
2011-2013 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, भोपाल के अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री दर्जा) भी बने. पहली बार 2013 में वह विधायक बने. 2018 में भी पार्टी ने उनपर भरोसा किया और वह चुनाव जीतने में सफल रहे. 2020 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो मोहन यादव फिर से मंत्री बने.
विवादों से रहा है डॉ. मोहन यादव का नाता
वर्ष 2020 में चुनाव आयोग ने मोहन यादव को असंयमित भाषा के लिए नोटिस दिया था, और एक दिन के लिए चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके साथ ही वर्ष 2021 में मोहन यादव उस समय विवाद का हिस्सा बन गए, जब उच्च शिक्षा विभाग ने एक कानून जारी किया, जिसमें कहा गया कि यदि किसी छात्र के खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड है तो उसे कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने कई और भी विवादित बयान दिए हैं. जिसकी वजह से पार्टी असहज हो गई थी.
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