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Rajasthan News: छात्रों की पढ़ाई पर GST का 'डबल अटैक', कॉपी सस्ती, लेकिन कागज महंगा होने से बढ़ी परेशानी!

Rajasthan News: जीएसटी परिषद ने बच्चों की अध्ययन सामग्री को कर मुक्त कर दिया है. इसे बच्चों को सस्ती कॉपियां उपलब्ध कराने का एक कदम बताया जा रहा है, लेकिन हकीकत बिल्कुल उलट है.आइए जानें कैसे.

Rajasthan News: छात्रों की पढ़ाई पर GST का 'डबल अटैक', कॉपी सस्ती, लेकिन कागज महंगा होने से बढ़ी परेशानी!
कागज पर 12 % से बढ़ा कर 18% की जीएसटी

GST on Paper: स्कूली शिक्षा को आसान बनाने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लिया. जीएसटी काउंसिल ने बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी सामग्रियों को टैक्स से मुक्त कर दिया है. इसमें नोटबुक (कॉपी) भी शामिल हैं. पहले इन पर 12 प्रतिशत जीएसटी लागू था, जिसे अब पूरी तरह हटा दिया गया है. इसे बच्चों को सस्ती कॉपी उपलब्ध करवाने का कदम बताया जा रहा है, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलटी है.

कागज पर 12 % से बढ़ा कर 18% की जीएसटी 

दरअसल, नोटबुक तो करमुक्त(Taxfree) कर दी गई है, लेकिन जिस कागज से नोटबुक तैयार होती है, उस पर अब 18 प्रतिशत जीएसटी(GSt) लगेगा. जो पहले कागज पर 12 प्रतिशत टैक्स लगता था. सरकार के इस फैसले से नोटबुक बनाने वाले कारोबारी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ भी नहीं ले पाएंगे, क्योंकि अंतिम उत्पाद (नोटबुक) पर टैक्स शून्य कर दिया गया है. ऐसे में कागज की बढ़ी कीमत सीधे निर्माण लागत को प्रभावित करेगी और अंत में स्कूली बच्चों को महंगी कॉपी खरीदनी पड़ेगी.

सरकार का निर्णय स्कूल के बच्चों के हित में नहीं

राजस्थान के कागज कारोबारी और नोटबुक निर्माता गिरधारी मंगल ने बताया कि सरकार का यह निर्णय स्कूली बच्चों के हित में नहीं है. उन्होंने कहा, “सरकार ने नोटबुक को टैक्स मुक्त कर दिया है, लेकिन कागज पर जीएसटी  बढ़ाई है. इससे नोटबुक लगभग 6 प्रतिशत महंगी हो जाएगी जिसका असर पाठ्य पुस्तकों पर भी पड़ेगा, क्योंकि वे भी इसी कागज से बनती हैं. इस स्थिति में छात्रों को पहले की तुलना में महंगी किताबें मिलेंगी.

स्कूल और अभिभावकों में भ्रम की स्थिति 

वही सरकार के इस फैसले को लेकर चार्टर्ड अकाउंटेंट सुनील गोयल ने भी सवाल उठाए है. उनका कहना है कि सरकार के वित्त विभाग में बैठे अधिकारी जमीनी हकीकत से अनजान हैं.इसलिए नोटबुक को टैक्स फ्री और कागज पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने जैसे विरोधाभासी निर्णय लिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत इसपर स्थिति साफ करनी चाहिए, क्योंकि इस फैसले से स्कूल और अभिभावकों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है.

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