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टोंक में ईसरदा बांध विस्थापितों का हंगामा, 21 सूत्री मांगों के साथ सड़कों पर उतरे ग्रामीण

राजस्थान के टोंक जिले में ईसरदा बांध परियोजना के विस्थापितों ने मुआवजे की पुनर्समीक्षा और नई नीति के तहत जमीन आवंटन की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया.

टोंक में ईसरदा बांध विस्थापितों का हंगामा, 21 सूत्री मांगों के साथ सड़कों पर उतरे ग्रामीण
टोंक जिले में ईसरदा बांध परियोजना के विस्थापितों ने मुआवजे को लेकर प्रदर्शन किया है.

Rajasthan News: राजस्थान के टोंक जिले में ईसरदा बांध परियोजना के विस्थापितों ने बुधवार को टोंक में जोरदार प्रदर्शन किया. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के विधानसभा क्षेत्र में हुए इस प्रदर्शन में ग्रामीणों ने मुआवजे की पुनर्समीक्षा और नई नीति के तहत जमीन आवंटन की मांग उठाई. रुई पेंच मैदान में सभा के बाद विस्थापितों ने कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली और नारेबाजी की. इसके बाद जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल को मुख्यमंत्री के नाम 21 सूत्री मांग पत्र सौंपा गया.

ERCP के तहत मुआवजे में भेदभाव का आरोप

ईसरदा बांध दौसा और सवाई माधोपुर के 6 शहरों और 1256 गांवों के लिए लाइफलाइन साबित होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका वर्चुअल उद्घाटन किया था. लेकिन विस्थापितों का कहना है कि सरकार सवाई माधोपुर के डूंगरी बांध के लिए नई विस्थापन नीति लागू कर रही है, जिसमें प्रति परिवार 21 लाख रुपये का मुआवजा दिया जा रहा है. वहीं, ईसरदा बांध के लिए पुरानी नीति के तहत कम मुआवजा दिया जा रहा है. ग्रामीणों ने इसे भेदभाव बताया और नई नीति लागू करने की मांग की.

कलेक्ट्रेट में अधिकारियों संग चर्चा

प्रदर्शन के बाद विस्थापितों का एक दल कलेक्टर कल्पना अग्रवाल से मिला. कलेक्टर ने बांध परियोजना, एडीएम पुनर्वास और एसडीएम टोंक को बुलाकर मांगों पर एक घंटे तक चर्चा की. विस्थापितों ने मांग की कि टोंक के 39 गांवों के प्रभावितों को भी डूंगरी बांध की तरह मुआवजा और पास के गांवों में जमीन दी जाए. 

गैर-राजनीतिक आंदोलन

टोंक पंचायत समिति के सरपंच संघ अध्यक्ष और विधायक प्रतिनिधि हंसराज फागणा ने कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह गैर-राजनीतिक है. उन्होंने बताया कि पूर्व विधायक अजीत सिंह मेहता और सचिन पायलट ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांगों का समर्थन किया है. कलेक्टर ने 45 दिन में मांगों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है. फागणा ने चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो विस्थापित फिर से आंदोलन शुरू करेंगे. 

आंदोलन की चेतावनी

विस्थापितों ने साफ कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे.

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