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जयपुर में 4000 स्कूल वाहनों की जांच, 1365 ट्रैफिक नियमों की उड़ा रहे धज्जियां; नशे में भी मिले कई ड्राइवर

राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्कूल वाहनों की जांच में एक चौकने वाला खुलासा हुआ है. पुलिस ने 4000 वाहनों की जांच की जिसमें से 1365 वाहन ट्रैफिक नियम से नहीं चल रहे थे. वहीं कई के ड्राइवर नशे में मिले और कई ड्राइवर के पास लाइसेन्स भी नहीं मिला. जयपुर पुलिस 7 दिनों से स्कूल बसों को चेक कर रही है. पुलिस ने इस कार्रवाई में कुछ वाहनों को जब्त भी कर लिया है.

जयपुर में 4000 स्कूल वाहनों की जांच, 1365 ट्रैफिक नियमों की उड़ा रहे धज्जियां; नशे में भी मिले कई ड्राइवर
राजस्थान में कैसे रुकेंगे सड़क हादसे?

Rajasthan Road Accident News: राजस्थान की राजधानी जयपुर में बच्चों को स्कूल ले जाने वाहनों की जांच की गई. जिसमें करीब 1000 से अधिक वाहन ऐसे मिले जो ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं कर रहे थे. कई वाहनों के तो ड्राइवर नशे में भी मिले. पुलिस ने कई वाहनों को जब्त भी किया है. अगर आपके बच्चे भी बस या किसी अन्य वाहन से स्कूल जाते हैं, तो आपको ध्यान देना चाहिए कि चालक सारे नियमों पालन करें.

इससे आपके बच्चे सुरक्षित रहेंगे. दरअसल कुछ दिनों पहले चौमूं में एक दर्दनाक सड़क हादसा हुआ था. जिसमें 30 बच्चों से भरी हुई एक बस अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई. बस के नीचे दबने से एक बच्ची की मौत हो गई और कई बच्चे घायल हो गए हैं. 

शिक्षा मंत्री ने दिए थे जांच के निर्देश

इस दुर्घटना के बाद शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री हरकत में आ गए और उन्होंने इसके निर्देश जारी किए है. जिसके अनुसार कोचिंग-स्कूल में चलने वाली सभी गाड़ियों के सभी पेपर चेक होंगे. इसी कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए राजधानी में करीब 4000 स्कूल वाहनों को चेक किया गया. जिसमें 1365 वाहन ऐसे निकले जो नियमों का पालन नहीं कर रहे थे. यह हाल प्रदेश की राजधानी का है तो लोकल इलाकों में तो हालात और भी खराब होने की संभावना जताई जा रही है.

जयपुर पुलिस ने चलाया अभियान

जानकारी के अनुसार, पुलिस आयुक्त बीजू जॉर्ज जोसेफ ने परिवहन के दौरान स्कूली बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए यातायात पुलिस को टीमें बनाकर जयपुर कमिश्नरेट क्षेत्र में अनफिट और यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाली बाल वाहिनियों के खिलाफ सख्त अभियान चलाकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

नशे में मिले स्कूल वाहन के ड्राइवर

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त यातायात योगेश दाधीच के नेतृत्व में यातायात उपायुक्त शाहीन सी ने सात दिवसीय सघन जांच अभियान चलाया।इस दौरान लगभग 4 हजार बाल वाहनियों की जांच की गई. इनमे से कई बाल वाहनियां अनफिट पाई गई. कुछ बाल वाहिनियों के परमिट एक्सपायर हो चुके थे. कई चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं थे, तो कुछ के ड्राइविंग लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुकी थी. 

9 स्कूल वाहनों को किया गया जब्त

वहीं कुछ बाल वाहिनियों के ड्राइवर नशे में भी मिले और कुछ ने ड्राइवर की तय वर्दी नहीं पहन रखी थी. विभिन्न प्रकार की अनियमितता पाई जाने वाली कुल 1356 बाल वाहिनियों के खिलाफ चालान की कार्रवाई की गई. गंभीर अनियमितता वाली 9 बाल वाहिनियों को जप्त किया गया. साथ ही यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाली बाल वाहिनियों की सूचना संबंधित संस्था प्रबंधकों को पत्र लिख कर अवगत करवाया जा रहा है ताकि यातायात नियमों की पालना सुनिश्चित हो सके.

वाहन पर विद्यालय का नाम और फोन नंबर अनिवार्य

यातायात उपायुक्त शाहीन सी ने परिवहन विभाग द्वारा जारी बाल वाहिनियों के सुरक्षा मानक नियम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि स्कूल बस का रंग सुनहरी पीला होने के साथ बस पर आगे और पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए. बस, कैब, ऑटो के पीछे विद्यालय का नाम और फोन नंबर अनिवार्य रूप से अंकित होना चाहिए ताकि आपात स्थिति में और चालक द्वारा लापरवाही करने की दशा में सूचित किया जा सके. 

ड्राइवर का नाम, पता, लाइसेंस नंबर जरूरी 

साथ ही बस के अंदर ड्राइवर का नाम, पता, लाइसेंस नंबर, वाहन स्वामी नाम और मोबाइल नंबर, यातायात पुलिस और परिवहन विभाग हेल्पलाइन नंबर तथा वाहन का पंजीयन क्रमांक कॉन्ट्रास्ट रंग में लिखा हुआ स्पष्ट रुप से प्रदर्शित करना होगा.

ड्राइवर के बदलने पर उसका विवरण बदल दिया जाएगा. बस चलाने वाले ड्राइवर के पास कम से कम 5 साल का अनुभवी हो और उसके पास कम से कम 5 साल पुराना वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए. बाल वाहिनी में बैठने की क्षमता सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार डेढ़ गुना से अधिक नहीं हो.

बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर जयपुर पुलिस कमिश्नर 

जोसेफ ने कहा कि शहर में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ स्कूली बच्चों का सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है. इसी कड़ी में यह अभियान चलाया गया. उन्होंने बच्चों के अभिभावकों से भी अपील की कि वे समय-समय पर अपने बच्चों के स्कूल आने जाने के परिवहन के लिए संचालित बसों की सुरक्षा मानकों को वे भी जांच करते रहे.

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