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किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा जोधपुर का मिलेट्स रिसर्च सेंटर, देशभर में 60% बाजरा देता है राजस्थान

जोधपुर स्थित कृषि विश्वविद्यालय बाजरा अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. अत्याधुनिक बाजरा परीक्षण केंद्र में वैज्ञानिक तरीके से विकसित की गई नई किस्में किसानों तक पहुंचाने से उनकी पैदावार और आय में वृद्धि हो रही है. 

किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा जोधपुर का मिलेट्स रिसर्च सेंटर, देशभर में 60% बाजरा देता है राजस्थान
बाजरे की खेती

Jodhpur Millet Research: राजस्थान के जोधपुर स्थित कृषि विश्वविद्यालय ने बाजरा (मिलेट्स) अनुसंधान में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. देश के कुल बाजरा उत्पादन का लगभग 60 प्रतिशत राजस्थान से आता है, जिसमें जोधपुर का महत्वपूर्ण योगदान है. यहां स्थित एकमात्र अत्याधुनिक बाजरा परीक्षण केंद्र देशभर में चर्चित है, जहां वैज्ञानिक तरीके से बाजरे की विभिन्न किस्मों का परीक्षण किया जाता है. इस केंद्र में 15 एकड़ भूमि पर बाजरे की नई किस्मों का विकास और परीक्षण होता है, जिसके बाद ही किसानों को उच्च गुणवत्ता वाला बाजरा उपलब्ध कराया जाता है.

3 हजार से अधिक किस्मों पर परिक्षण

इस केंद्र में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा वित्तपोषित अखिल भारतीय समन्वित बाजरा अनुसंधान परियोजना संचालित होती है. देशभर के 12 उपकेंद्र इसके अंतर्गत आते हैं, जिनका मुख्यालय जोधपुर है. यहां सरकारी और निजी संस्थाओं को अपनी विकसित की गई बाजरा किस्मों का परीक्षण करवाना अनिवार्य है.

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वैज्ञानिकों द्वारा 3 चरणों में परीक्षण के बाद ही इसे किसानों के लिए जारी किया जाता है, जिससे उनकी फसल की पैदावार बढ़ती है और उनकी आय में वृद्धि होती है. अब तक 3,000 से अधिक बाजरा किस्मों का सफल परीक्षण किया जा चुका है.

3 साल परिक्षण के बाद किसानों को मिलता बीज

कृषि वैज्ञानिक डॉ. विकास खंडेलवाल के अनुसार, देशभर में 12 केंद्र और 30 से अधिक निजी कंपनियां बाजरा अनुसंधान में सक्रिय हैं. जोधपुर केंद्र में बाजरा की किस्मों और हाइब्रिड विकास के साथ-साथ रोग प्रतिरोधी प्रजातियों पर भी काम हो रहा है. खासकर हरितबाली और ब्लास्ट जैसे रोगों के खिलाफ मजबूत किस्मों की स्क्रीनिंग की जाती है. इन परीक्षणों की अवधि 3 वर्ष तक होती है, जिसके बाद ही बीज किसानों तक पहुंचता है.

मिलेट्स रिसर्च के 3 जोन

बाजरा अनुसंधान को 3 मुख्य भागों में विभाजित किया गया है. A-1, A और B जोन. इसके साथ ही समर इकोलॉजी के जरिए भी बाजरा उत्पादन पर शोध किया जाता है. जोधपुर केंद्र, जल्दी पकने वाली, मध्यम और देर से पकने वाली बाजरा किस्मों पर रिसर्च कर रहा है, ताकि किसानों को उपज बढ़ाने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधी किस्में भी मिल सकें.

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किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा केंद्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बाजरा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दिया जा रहा है. 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष और 2018 को राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया गया था. बाजरा न केवल कम पानी में अधिक उत्पादन देता है, बल्कि इसमें महत्वपूर्ण खनिज और पोषक तत्व भी होते हैं, जो इसे एक पौष्टिक फसल बनाते हैं.

किसानों के लिए जोधपुर का यह बाजरा अनुसंधान केंद्र एक वरदान साबित हो रहा है, जो न सिर्फ उनकी पैदावार बढ़ा रहा है, बल्कि उनकी आय को भी दोगुना करने में सहायक हो रहा है.

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