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Rajasthan: घटिया कोयले की वजह से कालीसिंध थर्मल पावर परियोजना के हाल बेहाल, इकाइयां बार-बार हो रहीं बंद

काली सिंध थर्मल पावर परियोजना की इकाइयां बार-बार ट्रिप हो रही हैं या मेंटेनेंस के लिए उनको बंद करना पड़ रहा है, क्योंकि लगातार घटिया कोयला इकाइयों को नुकसान पहुंचा रहा है, प्लांट उच्च क्वालिटी के कोयले के लिए बना हुआ है ऐसे में यहां घटिया कोयला आना इस प्लांट के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.

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Rajasthan: घटिया कोयले की वजह से कालीसिंध थर्मल पावर परियोजना के हाल बेहाल, इकाइयां बार-बार हो रहीं बंद

Kalisindh Thermal Power Project: झालावाड़ की काली सिंध थर्मल पावर परियोजना इन दोनों बेहद खराब दौर से गुजर रही है. बीते 1 साल से अधिक समय से लगातार कम गुणवत्ता वाले घटिया कोयले की सप्लाई हो रही है, जिसके चलते प्लांट में बार-बार तकनीकी खराबी आती है और प्लांट को बंद करना पड़ता है. वहीं यदि प्लांट को पूरी क्षमता से चलाया भी जाए तो कोयले की क्वालिटी घटिया होने के कारण विद्युत उत्पादन कम हो रहा है. उत्पादन में 25 से 30 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई है. जिसके चलते विद्युत उत्पादन लागत बढ़ रही है और परियोजना को घाटा होने की बात कही जा रही है.

एक महीना भी लगातार नहीं चल पा रही इकाइयां

काली सिंध थर्मल पावर परियोजना की इकाइयां बार-बार ट्रिप हो रही हैं या मेंटेनेंस के लिए उनको बंद करना पड़ रहा है, क्योंकि लगातार घटिया कोयला इकाइयों को नुकसान पहुंचा रहा है, प्लांट उच्च क्वालिटी के कोयले के लिए बना हुआ है ऐसे में यहां घटिया कोयला आना इस प्लांट के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. बीते 1 वर्ष में दोनों इकाइयां लगातार बंद होती रही, बीते 1 वर्ष में पहली इकाई 10 बार तो दूसरी इकाई 14 बार बंद हुई.

झालावाड़ की काली सिंध थर्मल पावर परियोजना में आने वाले अशुद्ध कोयले का खामियाजा इस प्लांट को भुगतना पड़ रहा है, लगभग 6 महा पहले प्लांट का शटडाउन लेना पड़ा और उसको बंद करके बॉयलर की मरम्मत करनी पड़ी थी.

सूत्र बताते हैं कि इकाई के एक बार बंद हो जाने के बाद उसको दोबारा शुरू करने में 50 से 60 लख रुपए खर्च होते हैं. जानकारी के अनुसार इकाई को लाइट अप करने के लिए कुछ विशेष तरह के तेल इसमें जलाए जाते हैं जिनका खर्च 50 से 60 लख रुपए आता है. ऐसे में परियोजना के बार-बार बंद होने के कारण उसको पुनः चलाने में बड़ा पैसा खर्च करना पड़ रहा है.

25 से 30% घटा उत्पादन 

थर्मल पावर परियोजना से जुड़े सूत्र बताते हैं कि प्लांट वास हुए कोयले से चलने के लिए बनाया गया था क्योंकि जिस समय प्लांट बनाया गया उसे समय सरकार के खुद अपने कोल ब्लॉक हुआ करते थे, जहां से शुद्ध कोयला इस प्लांट को भेजा जाता था और शुद्ध कोयले के लिए ही इसको डिजाइन किया गया था. अब जबकि दूसरे कोल ब्लॉको से कोयले की व्यवस्था की जा रही है तो यहां लगातार घटिया क्वालिटी का कोयला आ रहा है, जिसमें कार्बन की मात्रा कम है तथा अशुद्धियां ज्यादा.

ऐसे में दोनों प्लांट पूरी क्षमता से चलाए जाने पर भी 800 से 850 मेगावाट ही उत्पादन हो पा रहा है. जिसके चलते उत्पादन लागत बढ़ रही है और परियोजना को घाटा भी हो रहा है. यहां दोनों इकाइयों में कुल 2 लाख 88 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन प्रतिदिन होता है था जो अब घटकर काम हो गया है उसमें 25 से 30% तक की गिरावट दर्ज की जा रही है

बॉयलर हो चुका है क्षतिग्रस्त

ऐसे में तुरंत प्लांट को बंद किया गया और बड़ी लागत लगाकर बायलर की मरम्मत की गई, फिर भी लगातार आ रहा घटिया कोयला बॉयलर सहित पूरा संयंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है.

थर्मल से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार को इस पूरे मामले पर ध्यान देना चाहिए तथा यहां सप्लाई होने वाले कोयले के गुणवत्ता में सुधार किया जाना चाहिए, अन्यथा इससे पूरी परियोजना पर जो संकट मंडरा रहे है वन दिन प्रतिदिन और अधिक गहरे होते जा रहा है और आने वाले दिनों में किसी बड़े नुकसान की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. कालीसिंध  थर्मल पावर परियोजना के चीफ इंजीनियर के एल मीणा ने बता फिलहाल 850 मेगावाट के आसपास बिजली का उत्पादन हो रहा है उन्होंने कहा कि कोयला मापदंडों के अनुसार नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते उत्पादन प्रभावित है.

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