Sufi corridor: भारत के प्रमुख सूफी आध्यात्मिक धर्मगुरुओं ने शनिवार को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू से राजधानी दिल्ली में मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान भारत के प्रमुख दरगाहों को विकसित करने के साथ-साथ सूफी कॉरिडोर के प्रोजेक्ट पर भी बात हुई. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और भारत के प्रमुख सूफी आध्यात्मिक धर्म गुरुओं के बीच हुई बैठक को ऐतिहासिक बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि यह बैठक आध्यात्मिक और सामुदायिक विकास पहल को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगी.
अजमेर दरगाह के गद्दीनशी ने किया नेतृत्व
किरेन रिजिजू से मिलने पहुंचे सूफी आध्यात्मिक संस्कृति के प्रतिनिधियों का नेतृत्व अजमेर दरगाह के गद्दीनशीं हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने किया. प्रतिनिधिमंडल में शाजिया इल्मी भी शामिल हुईं, जो देश के भीतर आध्यात्मिक और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
दरगाह को विकसित करने पर हुई चर्चा
इस बैठक में चर्चा का विषय भारत की प्रमुख दरगाहों के आस-पास विश्वस्तरीय बुनियादी और प्राचीन विरासत के विकास का था. जिसकी शुरुआत अजमेर शरीफ से होगी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित महत्वाकांक्षी सूफी कॉरिडोर का हिस्सा है. यह दूरदर्शी परियोजना भारत को वैश्विक स्तर पर शीर्ष सूफी आध्यात्मिक गंतव्य के रूप में स्थापित करना चाहती है, जब दुनिया सूफीवाद और सभी के प्रति बिना भेदभाव प्यार के सूफी आदर्शों की बात करती है.
Met & interacted with the esteemed Sufi Mashaikh of India, led by Haji Syed Salman Chishty, Gaddi Nashin of Dargah Ajmer Sharif, along with other revered Sufi spiritual leaders. The exchange of thoughts & wisdom was truly enriching, reflecting the profound spiritual heritage that… pic.twitter.com/N6MBss13P2
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) August 24, 2024
प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व करने वाले हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए ऐसे बुनियादी और प्राचीन विरासत को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे इसे दुनिया भर के लाखों आध्यात्मिक सूफी अनुयायी और पर्यटकों के लिए बेहतर बनाया जा सके.
सूफी कॉरिडोर पर की चर्चा
सूफी कॉरिडोर पर चर्चा करने के अलावा प्रतिनिधिमंडल ने भारत भर में विविध मुस्लिम समुदाय के समग्र विकास के लिए अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता भी साझा की. इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और कौशल विकास में पहल शामिल हैं, जिसका उद्देश्य जीवन स्तर को ऊपर उठाना और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है.
ये प्रयास नए वक्फ संशोधनों के अनुरूप हैं, जिसके लिए प्रतिनिधिमंडल ने अपने विचार व्यक्त किया, साथ ही कुछ सामुदायिक चिंताओं को भी व्यक्त किया. संवाद की विशेषता एक प्रगतिशील और समावेशी दृष्टिकोण के लिए साझा दृष्टिकोण थी जो समाज के सभी वर्गों को लाभान्वित करता है.
किरेन रिजिजू को दरगाह का तबरुक किया भेंट, की दस्तारबंदी
बैठक के दौरान, हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने सम्मान और सद्भावना के प्रतीक के रूप में अजमेर शरीफ से पवित्र तबर्रुकात और दस्तारबंदी पेश की. मंत्री किरेन रिजिजू को “व्हर्लिंग दरवेश” नामक एक ओरिजिनल कैनवास सूफी कलाकृति भी भेंट की गई, जो भारत में सूफीवाद के गहरे आध्यात्मिक संबंध और कलात्मक विरासत का प्रतीक है.
बैठक के अंत में मंत्री किरेन रिजिजू ने सूफी प्रतिनिधिमंडल को अगले कुछ हफ्तों में होने वाली संयुक्त संसदीय समिति की बैठकों में भाग लेने के लिए एक भावी निमंत्रण दिया. यह निमंत्रण सरकार और आध्यात्मिक नेताओं के बीच निरंतर सहयोग और संवाद के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है. साथ ही उन्होंने दरगारों के विकास और सूफी कॉरिडोर पर आगे बढ़ने की बात कही.
प्रतिनिधिमंडल में सूफी दरगाहों से उल्लेखनीय हस्तियां हुईं शामिल
- अजमेर शरीफ से साहिबजादा सैयद अफशान चिश्ती और मेहराज चिश्ती साहब
- दरगाह हज़रत बाबा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी चिश्ती (र) से जनाब मंजूरुल हक कुतुबी साहब
- दरगाह हज़रत निजामुद्दीन औलिया (र)-नई दिल्ली से सैयद अनफाल निजामी
- शाही बाग खानकाह ए चिश्तिया दरगाह, अहमदाबाद-गुजरात से सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती साहब
- दरगाह हज़रत सूफी मुहम्मद खुशहाल शाह साहब, मुजफ्फरनगर-यूपी से जनाब सूफी जवाद अहमद खुशहाली
- युवा समुदाय की आवाज जनाब अफजल इशाक इल्मी साहब नई दिल्ली से
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