Rajasthan News: 11 मई, यही वो ऐतिहासिक दिन था जब हिन्दुस्तान परमाणु शक्ति से लेस देश बना था. अमेरिका के अत्याधुनिक सैटेलाइट से बचाकर लंबी तैयारी के बाद 11 व 13 मई 1998 को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में किए गए सिलसिलेवार पांच परमाणु धमाकों से पोकरण (खेतोलाई) की धरा गूंज उठी थी. लेकिन उसकी आवाज एशिया ही नहीं, अपितु विश्व भर में सुनाई पड़ी थी. जी हां, हम बात कर रहे हैं आज से 26 साल पहले की, जब ऑपरेशन 'शक्ति' पोकरण द्वितीय (Pokhran-II) के नाम से भारत ने सम्पूर्ण विश्व को आंख दिखाकर अपनी धाक जमाई थी.
वाजपेयी ने दिया था 'जय विज्ञान' का नारा
भारत के पूर्व राष्ट्रपति और तत्कालीन डीआरडीओ निदेशक डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम (A. P. J. Abdul Kalam) ने कहा था– 'आई लव खेतोलाई.' पोकरण से 25 किलोमीटर दूर खेतोलाई वह गांव है, जहां से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर ही परमाणु परीक्षण हुआ था. परीक्षण के बाद 19 मई 1998 को पोकरण में सभा आयोजित की गई. इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने जय जवान, जय किसान के साथ, जय विज्ञान का नारा जोड़ा था. परमाणु परीक्षण के बाद पोकरण व खेतोलाई, दोनों का नाम विश्व मानचित्र के पटल पर गहरी स्याही से उकेरा गया. आज भी जब 11 मई का दिन आता है तो खेतोलाई के साथ ही पोकरण क्षेत्र के वाशिंदों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है.
टेस्ट के 2 घंटे के बाद हुआ किया था ऐलान
ऑपरेशन शक्ति पोकरण द्वितीय को करने के लिए देश के वैज्ञानिकों को दिन रात कड़ी मेहनत व तैयारियां कर लम्बा सफर तय करना पड़ा. इस दौरान स्थानीय के साथ ही देश-विदेश की सुरक्षा एजेंसियों तक को कानों-कान भनक तक नहीं लगने दी गई. हालांकि परमाणु परीक्षण के तीन घंटे पूर्व खेतोलाई के वाशिंदों को रेंज में नियमित अभ्यास की सूचना देकर आगाह किया गया, लेकिन तब तक उन्हें भी परमाणु परीक्षण की जानकारी नहीं थी. जब 11 मई 1998 को दोपहर करीब पौने तीन बजे परमाणु परीक्षण किया और देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शाम पांच बजे मीडिया के समक्ष इसकी सार्वजनिक रूप से घोषणा की, तब देशवासियों को इसकी जानकारी हुई.
कमाल के धमाल पर हिंदुस्तान ने किया सलाम
आज ही के दिन, 11 मई 1998 को कलाम के धमाल से पूरा विश्व गूंज उठा था, जिसे आज पूरा हिन्दुस्तान सलाम करता है. ऑपरेशन शक्ति पोकरण द्वितीय के मुख्य परियोजना समन्वयक व डीआरडीओ के निदेशक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम थे. उनके साथ वैज्ञानिक डॉ. के. संथनाम व डॉ. आर. चिदम्बरम की टीम थी, जिसने पूरे विश्व को चौंकाया था. पोकरण व खेतोलाई को ऑपरेशन शक्ति पोकरण द्वितीय व शक्ति-98 के रूप में नई पहचान मिली.11 मई को पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज में परमाणु परीक्षण की शृंखला के दो व 13 मई को किए गए तीन बम धमाकों से विश्व थर्रा गया.इन पांच धमाकों में एक संलयन व चार विखंडन बम शामिल थे.
दुनियाभर की नजर से बचाने के लिए परमाणु परीक्षण स्थल से कुछ दूरी पर पिनाका जैसे रोकेट छोड़े गए और वायुसेना के विमानों से रन-वे विध्वंश करने का भी अभ्यास किया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 18 मई 1974 को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में क्षेत्र के लोहारकी गांव के पास पहला परमाणु परीक्षण किया था. इसके बाद 1998 में 11 व 13 मई को भारत ने दूसरी बार परमाणु परीक्षण कर अपनी सामरिक शक्ति का प्रदर्शन किया.
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