
Shakoor Khan Jaisalmer: पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में हाल ही में गिरफ्तार किए गए राजस्थान सरकार के कर्मचारी शकूर खान को कथित जासूसी मामले में 21 जून तक जेल भेज दिया गया है. पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोपी खान को 8 दिन की रिमांड पूरी होने के बाद मंगलवार को कोर्ट में पेश किया गया था.
जैसलमेर रोजगार कार्यालय में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर तैनात खान को कुछ दिन पहले पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के संदेह में हिरासत में लिया गया था. 2008 से 2013 के बीच खान ने कांग्रेस नेता सालेह मोहम्मद के पीए के रूप में भी काम किया, जो उस समय पोखरण से विधायक थे और बाद में राजस्थान सरकार में मंत्री बने. जांच अधिकारी ने रिमांड बढ़ाने की मांग नहीं की, जिसके बाद कोर्ट ने न्यायिक हिरासत का आदेश दिया. हालांकि, एजेंसियों ने कोर्ट को बताया कि अगर आगे पूछताछ जरूरी हुई तो खान को जेल से रिमांड पर लिया जाएगा.
शकूर खान की चैट से हुए कई खुलासे
अधिकारियों के मुताबिक शकूर खान से बरामद मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच में उसके पाकिस्तान उच्चायोग से कथित तौर पर जुड़े दानिश नाम के व्यक्ति से संबंध का पता चला है. अधिकारियों ने बताया कि शकूर और दानिश के बीच हुई चैट से पता चलता है कि पाकिस्तानी एजेंसी के साथ कई बार संवेदनशील सूचनाओं का आदान-प्रदान हुआ है. कोर्ट ने उसे 21 जून तक जेल भेज दिया है.
वहीं, शकूर को रिमांड के दौरान उसके घर ले जाया गया. यहां तलाशी के दौरान पुलिस टीम को एक पासपोर्ट मिला, जो शकूर खान ने 2019 में बनवाया था.
शकूर ने पाकिस्तानी एजेंसी को कई जानकारियां भेजीं
अधिकारियों ने बताया, "शकुर के पास से मिले मोबाइल में दानिश की कनेक्टिविटी पाई गई है. दानिश पाकिस्तान उच्चायोग में है. चैट से पता चलता है कि शकूर और दानिश के बीच कई बार बातचीत हुई. इस दौरान शकूर ने पाकिस्तानी एजेंसी को कई जानकारियां भेजीं. गहन डेटा रिकवरी के लिए मोबाइल फोन को फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) भेजा गया है, जो जांच में अगले कदमों का मार्गदर्शन करेगा."
अंतरराष्ट्रीय यात्राओं की जांच होगी
अधिकारी शकूर खान द्वारा की गई सात अंतरराष्ट्रीय यात्राओं की जांच कर रहे हैं और जैसलमेर रोजगार विभाग से इस बारे में रिकॉर्ड मांगा है कि उसकी विदेश यात्रा को किसने मंजूरी दी. शकूर खान ने 2000 में जैसलमेर रोजगार कार्यालय में चपरासी के रूप में अपनी सरकारी सेवा शुरू की थी. इन वर्षों में, वे रैंक में ऊपर उठे और अंततः सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पदोन्नत हुए.
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