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This Article is From Dec 30, 2023

Analysis: भजनलाल मंत्रिमंडल के 25 में से 20 चेहरे नए, लोकसभा चुनाव के लिए भी भाजपा ने खेला बड़ा दांव

Rajasthan Cabinet Formation: राजस्थान में भाजपा सरकार ने अपनी नई टीम तैयार कर दी है. पार्टी के 22 विधायकों ने शनिवार को मंत्री पद की शपथ ली. मंत्रिमंडल गठन के जरिए भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा दांव खेला है.

Analysis: भजनलाल मंत्रिमंडल के 25 में से 20 चेहरे नए, लोकसभा चुनाव के लिए भी भाजपा ने खेला बड़ा दांव
शपथ ग्रहण के बाद राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ ग्रुप फोटो सेशन में खड़े मंत्री.

Rajasthan Cabinet Formation: आखिरकार 15 दिनों के इंतजार के बाद शनिवार को राजस्थान में भाजपा सरकार ने अपनी टीम फाइनल कर दी. राजभवन में राज्यपाल कलराज मिश्र ने भाजपा के 22 विधायकों को मंत्रिपद की शपथ दिलाई. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम प्रेम चंद बैरवा और दीया कुमारी 15 दिसंबर को पहले ही शपथ ले चुकी थी. ऐसे में राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल की  25 सदस्यीय टीम तैयार हो गई है. राज्य में मंत्री के 5 पद खाली रखे गए हैं. विधायकों की संख्याबल के हिसाब से यहां अधिकतम 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं.

राजस्थान मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा का पुराना पैटर्न फिर देखने को मिला. पार्टी ने मंत्रिमंडल में कई ऐसे नाम शामिल किए, जिनकी चर्चा कम थी. हालांकि सीएम रेस में शामिल रहे किरोड़ी लाल मीणा, राज्यवर्धन राठौड़ जैसे बड़े नाम मंत्रिमंडल में शामिल किए हैं. लेकिन बाबा बालक नाथ, अनिता भदेल, कालीचरण सरार्फ जैसे वरिष्ठ विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है. 

राजस्थान की नवगठित कैबिनेट पर नजर डाले तो कई रोचक बातें सामने आती है. पहली और बड़ी बात तो यह कि राजस्थान में भाजपा ने नए युग की शुरुआत कर दी है. वसुंधरा राजे को सीएम नहीं बनाए जाने के बाद पार्टी ने मंत्रिमंडल में भी कई नए चेहरों को मौका दिया है. राजस्थान की नवगठित 25 सदस्यीय कैबिनेट में 20 चेहरे नए हैं. इसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तक शामिल हैं. 

राजस्थान कैबिनेट में नए चेहरों को तरजीह

राजस्थान में भजनलाल शर्मा की टीम में कुल 25 लोग शामिल हैं. इसमें 20 ऐसे हैं जिन्हें राजस्थान में मंत्री बनकर काम करने का अनुभव नहीं है. 5 पुराने चेहरे हैं, जो पूर्व में राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं. सीएम और दोनों डिप्टी सीएम समेत 15 कैबिनेट मंत्रियों में से 12 पहली बार के मंत्री हैं. जबकि 3 पुराने चेहरे हैं.

इनमें खुद सीएम भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमारी, डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा, राज्यवर्धन राठौड़, जोगाराम पटेल, बाबूलाल खराड़ी, सुरेश रावत, अविनाश गहलोत,  जोराराम कुमावत, हेमंत मीणा, कन्हैया लाल चौधरी और सुमित गोदारा शामिल हैं. जबकि किरोड़ीलाल मीणा, गजेंद्र सिंह खींवसर और मदन दिलावर पूर्व मंत्री रह चुके हैं.

5 स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रियों में से 4 पहली बार मंत्री बने हैं. इनमें गौतम कुमार दक, झाबर सिंह खर्रा, संजय शर्मा, हीरालाल नागर  शामिल हैं। जबकि सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में मंत्री रह चुके हैं. वही 5 राज्यमंत्री में से 4 पहली बार मंत्री बने हैं. इनमें मंजू बाघमार, विजय सिंह चौधरी, केके बिश्नोई और जवाहर सिंह बेढम शामिल हैं। जबकि ओटाराम देवासी पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रह चुके हैं.

विधायक बनने से पहले सुरेंद्रपाल टीटी को भाजपा ने बनाया मंत्री 

भाजपा ने करणपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे अपने उम्मीदवार सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को भी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया है. इस सीट पर पांच जनवरी को मतदान होना है. कांग्रेस ने इसके लिए भाजपा की आलोचना की है. सुरेंद्रपाल अभी विधायक बने नहीं है लेकिन उन्हें मंत्री पद की शपथ दिला दी गई है. कांग्रेस इसे भाजपा का अहंकार बता रही है.लेकिन राज्य के सियासी जानकार इसे करणपुर की जीत के लिए बड़ा दांव बता रहे हैं. टीटी को मंत्री बनाए जाने से भाजपा के लिए करणपुर का रण फतह करना ज्यादा आसान होगा. 

मंत्रिमंडल विस्तार में सोशल इंजीनियरिंग

राजस्थान मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग का भी पूरा ध्यान रखा है. पार्टी ने सभी समाज के लोगों को कैबिनेट में शामिल किया है. बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय को सबसे अधिक सीटें दी है. लंबे समय बाद राज्य की कमान ब्राह्मण के हाथों में दी गई है. ऐसे में ओबीसी समुदाय कहीं नाराज ना हो जाए ऐसे में पार्टी ने ओबीसी समाज से 10 मंत्री बनाए हैं. गौरतलब हो कि राजस्थान में भाजपा संगठन भी ब्राह्मण सीपी जोशी के हाथों में ही है. 

मध्य प्रदेश में यादव, छत्तीसगढ़ में आदिवासी और राजस्थान में ब्राह्मण समाज से मुख्यमंत्री चुनकर भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए जातिगत सेटिंग तगड़ी कर ली है. इसके बाद तीनों राज्यों में मंत्रिमंडल गठन के दौरान पार्टी ने अलग-अलग जातियों के विधायकों को मंत्री बनाकर उनकी नाराजगी दूर की है.

  

लोकसभा चुनाव के लिए खेला बड़ा दांव

अब देश लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा है. सभी राजनीतिक दल भी आम चुनाव को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति बना रही है. भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान के मंत्रिमंडल के गठन के जरिए सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है. ओबीसी वोटरों को साथ रखने की पूरी कोशिश की है. कार्यकर्ताओं को भी संदेश दिया गया है कि किसी भी प्रकार की खेमेबाजी में शामिल होने से कोई भलाई नहीं है. पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को उचित समय पर उचित स्थान दिया जाएगा. 

वरिष्ठ नेताओं का भी रखा मान

पार्टी ने राजस्थान के वरिष्ठ नेताओं का भी मान रखा है. किरोड़ी लाल मीणा अघोषित रूप से सीएम रेस में थे. उन्हें मुख्यमंत्री तो नहीं बनाया गया लेकिन मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किया गया. शपथ ग्रहण के दौरान सबसे पहले किरोड़ी लाल मीणा को ही शपथ दिलाई गई. इसके अलावा पार्टी ने क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखने वाले कई नेताओं को भी मंत्री बनाया है. जो लोकसभा चुनाव के समय पार्टी के लिए बड़े कारगर साबित होंगे. 

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