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Rajasthan Election 2023: राजस्थान में मतदान का उत्साह, चौरासी में नाव पर बैठ वोट देने पहुंचे मतदाता

टापू पर रहने और सुविधाओं से वंचित रहने के बाद भी लोगों में मतदान को लेकर जबर्दस्त उत्साह देखने को मिला.

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Rajasthan Election 2023: राजस्थान में मतदान का उत्साह, चौरासी में नाव पर बैठ वोट देने पहुंचे मतदाता
नाव में बैठ कर वोट डालने पहुंचे ग्रामीण.

Rajasthan Election 2023: प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शनिवार को शाम 6 बजे खत्म हो गया. निर्वाचन आयोग के मुताबिक शाम 5 बजे तक 68.24 फीसदी मतदान हुआ. अभी एक घण्टे के मतदान के आंकड़ें आना बाक़ी है. चुनाव में मतदाताओं का उत्साह देखने को मिला. ऐसा ही उत्साह डूंगरपुर ज़िले की चौरासी विधानसभा से देखने को मिला जहां वोटर्स नाव बैठकर मतदान करने आए थे.

चौरासी विधानसभा क्षेत्र का सलाखड़ी गांव गुजरात के कडाणा बांध के बैक वाटर टापू पर बसा है जहं 92 वोटर्स हैं . टापू पर बसे गांव के लोगों का मतदान केंद्र कडाणा बांध के किनारे पर है. यहां के मतदाता नाव में बैठकर अपने मतदान केंद्र तक वोट देने पहुंचे.

सलाखडी टापू के दूसरी तरफ गुजरात राज्य की सीमा लगती है. सलाखडी के साथ ही मेडिटेंबा गांव भी टापू पर है. गांव में 18 से ज्यादा मकान हैं पूरे गांव में 92 वोटर्स हैं. इन लोगों ने नाव में बैठकर पानी के रास्ते किनारे पर ही मौजूद सलाखड़ी गांव के सरकारी स्कूल मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला.

चौरासी विधानसभा क्षेत्र का सलाखड़ी गांव गुजरात के कडाणा बांध के बैक वाटर टापू पर बसा है जहं 92 वोटर्स हैं .टापू पर बसे गांव के लोगों का मतदान केंद्र कडाणा बांध के किनारे पर है. 

टापू पर रहने और सुविधाओं से वंचित रहने के बाद भी लोगों में मतदान को लेकर जबर्दस्त उत्साह देखने को मिला . गांव के लोग अपने छोटे-मोटे काम के लिए भी नाव के जरिए भी गांव आते हैं और फिर नाव से ही वापस जाते हैं. गांव के कुछ लोगों के पास बाइक भी है. वे लोग बाइक को भी नाव में रखकर किनारे आते हैं . हर चुनाव में इस गांव के लोगों में वोट देने के लिए प्रति ऐसा ही उत्साह देखने को मिलता है . 

यहां पर माही सागर बांध बांसवाड़ा से पानी आता है. जिसे गुजरात सरकार रोक कर सिंचाई और बिजली उत्पादन का काम करती है. इस पानी का सबसे ज्यादा उपयोग गुजरात करता है. इसके कारण इस बांध के निर्माण के लिए राजस्थान विशेष कर दक्षिण राजस्थान के डूंगरपुर-बांसवाड़ा के लोगों को मुआवजा देकर कडाणा बांध विस्थापन कॉलोनी सागवाड़ा में बनाई थी. इसी के तहत सलाखेडी टापू के आदिवासी लोग अभी तक वहां से विस्थापित नहीं हुए हैं . उन्होंने नई जगह बसने की इच्छा त्याग दी. इसी के कारण आज भी वहां पर लोग बसे हुए है.

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