
Weather Alert: मंगलवार, 15 अप्रैल को बाड़मेर प्रदेश का सबसे गर्म जिला रहा, जहां अधिकतम तापमान 45.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. वहीं, फलोदी में दिन का तापमान 44.2 डिग्री सेल्सियस रहा. मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में 17 अप्रैल को तापमान 45 से 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है. हीटवेव की स्थिति को देखते हुए इन क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया गया है.
15 अप्रैल को मौसम शुष्क रहा
राजस्थान में 15 अप्रैल को मौसम शुष्क रहा. जोधपुर संभाग में उष्ण लहर और बीकानेर संभाग में गर्म रात्रि दर्ज की गई. राज्य में सर्वाधिक अधिकतम तापमान बाड़मेर में 45.4 डिग्री सेल्सियस (सामान्य से +6.4 डिग्री) रिकॉर्ड किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान बीकानेर में 28.6 डिग्री सेल्सियस रहा. आज, 16 अप्रैल को राज्य के अधिकांश हिस्सों में हवा में आर्द्रता की औसत मात्रा 13 से 44 प्रतिशत के बीच दर्ज की गई.
तापमान में 3 से 4 डिग्री की वृद्धि संभावित
मौसम विभाग के अनुसार, जैसलमेर में अधिकतम तापमान 44 डिग्री, जोधपुर में 42.1 डिग्री, बीकानेर में 41.7 डिग्री, जालौर में 41.6 डिग्री, चूरू में 41.4 डिग्री, कोटा और डबोक (उदयपुर) में 40.2 डिग्री तथा जयपुर में 37.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. विभाग के प्रवक्ता के अनुसार, आगामी चार से पांच दिन राज्य में मौसम मुख्यतः शुष्क रहेगा और तापमान में 3 से 4 डिग्री की वृद्धि की संभावना है.
— मौसम विज्ञान केंद्र जयपुर (@IMDJaipur) April 15, 2025
सामान्य से 6.5 डिग्री अधिक तापमान
राजस्थान में मंगलवार को सबसे अधिक तापमान बाड़मेर में 45.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 6.5 डिग्री अधिक है. अन्य जिलों में तापमान इस प्रकार रहा: जैसलमेर में 45 डिग्री, फलोदी में 44.4 डिग्री, चित्तौड़गढ़ में 43.1 डिग्री, जालौर में 42.4 डिग्री, बीकानेर में 42.3 डिग्री, जोधपुर में 42.2 डिग्री, चूरू में 41.4 डिग्री और कोटा में 40.5 डिग्री सेल्सियस. अन्य स्थानों पर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहा.
लू प्रभावित रोगियों के लिए हेल्पलाइन नंबर
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जयपुर द्वितीय, डॉ. हंसराज भदालिया ने बताया कि लू से प्रभावित रोगी की जानकारी देने हेतु कंट्रोल रूम नंबर 7374004405 पर संपर्क किया जा सकता है. उन्होंने सभी खण्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जनसाधारण को लू और तापघात से बचाव एवं उपचार की जानकारी समय-समय पर प्रचार-प्रसार के माध्यम से उपलब्ध कराई जाए.
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