Bharat Band: एससी-एसटी आरक्षण (SC-ST Reservation) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोटे के अंदर कोटे को लेकर फैसला सुनाया था. इसके बाद से कई संस्थाओं और पार्टी ने इसके विरोध में भारत बंद (Bharat Band) का ऐलान किया है. हालांकि केंद्र की ओर से कोटे के अंदर कोटे के प्रावधान को लागू करने से तत्काल इनकार किया है. लेकिन इसके बावजूद कुछ संगठन SC-ST आरक्षण को संविधान की नौवीं सूची में डालने की मांग की है. एससी-एसटी आरक्षण को लेकर राजस्थान में भी विभिन्न संगठनों ने भारत बंद के ऐलान का समर्थन करने का फैसला किया है. अब इस बीच राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत का बयान सामने आया है.
राज्य सरकार नहीं लेगी कोई निर्णय
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को आरक्षण संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत प्रदत है. केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए अनुच्छेद 341 और 342 के अंतर्गत केंद्रीकृत सूची का समूह बनाया गया है.
कोटे के अंदर कोटे की वकालत
अविनाश गहलोत ने कोटे के अंदर कोटे की वकालत की है. उन्होंने कहा कि एक अगस्त, 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण से संबंधित दिए गए फैसले पर कहा कि वर्ष 2004 में उच्चतम न्यायालय ने चेनाईया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार के प्रकरण में निर्णय दिया था कि संविधान में जो अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातीय दर्ज हैं. उनको विभाजित नहीं किया जा सकता. यदि ऐसा किया जाता है तो यह संविधान के विरुद्ध होगा.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार उप वर्गीकरण का अधिकार राज्य सरकार को है. न्यायालय ने कहा है कि बिना वस्तुनिष्ठ आंकड़े इकट्ठे किए और बिना विश्लेषण और विवेचना की उप वर्गीकरण नहीं किया जाना चाहिए.
बता दें, देश की सर्वोच्च अदालत ने एक अगस्त को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को सब-कैटेगरी बनाने का फैसला दिया था. साथ ही एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने का भी जोर दिया है.
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