Rare Black Cobra: सांप को देखते ही लोगों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है. लेकिन जब बात उस सांप की हो, जिसे शायद सभी लोग पहली बार देख रहे हो तो हालत क्या होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. शुक्रवार को ऐसा ही कुछ हुआ सैकड़ों लोगों के साथ. जब लोगों ने आंगनबाड़ी केंद्र में एक दुलर्भ ब्लैक कोबरा को देखा. यह ब्लैक कोबरा इतना खतरनाक था कि देखते ही लोगों की हालत खराब हो गई. इसकी लंबाई तकरीबन साढ़े पांच फीट थी. जरा ही हलचल पर यह दुर्लभ कोबरा फन उठाए बड़ी तेजी से फुफकार मार रहा था. इस नजारा को देख लोग दंग रह गए. जिसने भी इस जहरीले सांप को देखा कहा पहली बार ऐसे किसी सांप को देखा है.
कड़ी मशक्कत से पकड़ कर जंगल में छोड़ा गया सांप
मामला राजस्थान के टोंक जिले का है. जहां शुक्रवार को एक आंगनबाड़ी केंद्र में लगभग साढ़े पांच फीट लंबा ब्लैक कोबरा नजर आया. सांप को देखते ही लोगों के होश उड़ गए. इसके बाद लोगों ने पांच हजार से ज्यादा सांप पकड़ चुके वन्य जीव प्रेमी मनोज तिवारी को इसकी सूचना दी. वह अपने संसाधनों के साथ पहुंचे. फिर बड़ी मशक्कत से ब्लैक कोबरा को पकड़कर टोंक के जंगल मे सुरक्षित छोड़ा. इस दौरान मनोज तिवारी ने बताया कि मैंने इतना लंबा ब्लैक कोबरा पहली बार देखा है.
वहीं सांप को जंगल में छोड़ने के दौरान वहां मौजूद रही फारेस्ट विभाग की टीम के लोगों ने भी बताया कि वैसे तो वह जंगल मे अक्सर सांप देखते रहते हैं लेकिन हमने भी पहली बार इतना लंबा काला सांप देखा है. उल्लेखनीय है कि ब्लैक कोबरा इतनी लंबाई का बहुत कम ही देखने को मिलता है.
अभी तक 5 हजार सांपों को पकड़ चुके हैं स्नैक कैचर मनोज तिवारी
मनोज तिवारी पेशे से पत्रकार हैं लेकिन वन्यजीव प्रेमी होने के साथ उनकी खास पहचान बन गई है. स्नेक रेस्क्यू करने के कारण वह बताते भी हैं कि अब तक जीवन मे कितने सांप पकड़कर मैंने जंगल मे छोड़े हैं इसकी संख्या का तो पता नहीं लेकिन लगभग 5 हजार से ज्यादा तो में जंगल में छोड़ ही चुका हूं. वहीं सोनवा गांव में शुक्रवार को पकड़े गए नाजा प्रजाति के कोबरा को लेकर उन्होंने कहा कि कोबरा सांप की बात की जाए तो यह अब तक मेरे द्वारा पकड़े गए कोबरा में से सबसे लंबा लगभग साढ़े पांच फीट लंबा सर्प था. जंगल की रखवाली करने वाले वन विभाग के हेमराज ने भी बताया कि हमने इससे लंबा कोबरा सर्प आज तक नहीं देखा था.
आंगनबाड़ी का दरवाजा खोला तो अंदर बैठा था कोबरा
टोंक जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर सोनवा गांव में मौजूद आंगनबाड़ी सेंटर पर सुबह जब 15 बच्चों के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मीना गुर्जर पहुंची तो उन्होंने दरवाजा खोलते ही खिड़की में एक बड़ा कोबरा देखा. जिसके बाद उन्होंने बच्चों को घर भेज दिया. सांप की सूचना पर आस-पास के लोग जुट गए और फिर वन्यजीव प्रेमी मनोज तिवारी को बुलाया गया.
टोंक में सांप नजर आते ही मनोज को किया जाता याद
मनोज तिवारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सीनियर पत्रकार है. वह हार्ट पेशेंट भी है. लेकिन दूसरों की मदद के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहते है. वह निशुल्क सांपों का रेस्क्यू करते हैं. जब भी टोंक जिले में कही भी किसी के घर,दुकान, ऑफिस या फेक्ट्री आदि में सांप नजर आता है तो सबकी जुबान पर पहला नाम मनोज तिवारी का आता है. वह खुद के बनाये उपकरण लेकर पंहुचते हैं और सांपों का रेस्क्यू कर जंगल मे छोड़ते है.
टोंक में इन प्रजातियों के सांप
स्नैक कैचर मनोज तिवारी ने बताया कि टोंक में रेट स्नैक,चैकर्ड कील बेक,रेड बोआ, सेंड बोआ,नदर्न कुकरी,स्ट्राईप्ड कील बेक,ब्रांज बेक ट्री स्नैक ,वुल्फ स्नेक,ग्लॉसी बेली रैसर,बैंडेड रैसर,ऑलिव ग्रीन चैकर्ड कील बेक,केट स्नैक,रॉक पायथन,रॉयल स्नैक, रिबन स्नैक, ब्लाईंड स्नेक, सिंध करैत जैसी प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं.
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