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This Article is From Jan 02, 2025

Bikaner Royal Family Dispute: बीकानेर राजघराने की जंग में सिद्धि कुमारी को झटका, ट्रस्टी के रूप में बुआ राज्यश्री को फिर मिली सत्ता

विधायक सिद्धि कुमारी ने राज्यश्री कुमारी, मधुलिका कुमारी, हनुवंत सिंह और रीमा हुजा को शाही परिवार के ट्रस्टों के ट्रस्टी पद से हटा दिया था. उनके स्थान पर सिद्धि कुमारी ने संजय शर्मा, धीरज भोजक, मनीष शर्मा और मदन सिंह को ट्रस्टी नियुक्त किया.

Bikaner Royal Family Dispute: बीकानेर राजघराने की जंग में सिद्धि कुमारी को झटका, ट्रस्टी के रूप में बुआ राज्यश्री को फिर मिली सत्ता
राज्यश्री कुमारी और सिद्धि कुमारी.

Rajasthan News: बीकानेर राजघराने से ताल्लुक रखने वाली बीजेपी विधायक सिद्धि कुमारी (Sidhi Kumari) को संपत्ति विवाद मामले में बड़ा झटका लगा है. देवस्थान विभाग ने सिद्धि कुमारी के हक में सुनाए गए अपने फैसले को पलट दिया है, जिससे राज्यश्री कुमारी (Rajyashree Kumari) की स्थिति मजबूत हो गई है. नए आदेश के तहत राज्यश्री कुमारी, मधुलिका कुमारी और हनुवंत सिंह को ट्रस्टी (Trustee) के रूप में मान्यता दी गई है. विभाग ने यह निर्णय बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के एक फैसले को आधार बनाते हुए सुनाया है. इस फैसले के बाद राज्यश्री कुमारी अब जूनागढ़, लालगढ़ और ट्रस्ट द्वारा प्रबंधित अन्य संपत्तियों तक पहुंच सकती हैं.

बुआ ने लगाए थे गंभीर आरोप

देवस्थान विभाग के पहले फैसले के बाद राज्यश्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अपनी भतीजी सिद्धि कुमारी पर गंभीर आरोप लगाए थे. राज्यश्री ने दावा किया था कि सिद्धि कुमारी उनकी मां सुशीला देवी के निधन के बाद से ही उन्हें परेशान कर रही थीं. इसके चलते उनके और जूनियर कर्मचारियों समेत परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ झूठे पुलिस मामले दर्ज किए गए थे. उन्होंने ये भी आरोप लगाया था कि सिद्धि कुमारी ने जूनागढ़ और लालगढ़ में जाने से रोकने के लिए बाउंसर तैनात किए थे. 

ट्रस्टी पद में हुआ था फेरबदल

इससे पहले विधायक सिद्धि कुमारी ने राज्यश्री कुमारी, मधुलिका कुमारी, हनुवंत सिंह और रीमा हुजा को शाही परिवार के ट्रस्टों के ट्रस्टी पद से हटा दिया था. उनके स्थान पर सिद्धि कुमारी ने संजय शर्मा, धीरज भोजक, मनीष शर्मा और मदन सिंह को ट्रस्टी नियुक्त किया. इस निर्णय को देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त ने 27 मई 2024 को मंजूरी दे दी.

हनुवंत सिंह की अपील से पलटा गेम

पहले के फैसले में सिद्धि कुमारी को परिवार की वरिष्ठ सदस्य के रूप में मान्यता दी गई थी और कार्यकारी ट्रस्टी हनुवंत सिंह के हस्ताक्षर को जाली माना गया था. कथित तौर पर पुराने ट्रस्टियों को हटाना सिद्धि कुमारी की दादी राजमाता सुशीला कुमारी की वसीयत पर आधारित था. हालांकि, हनुवंत सिंह ने इस आदेश के खिलाफ उदयपुर में देवस्थान विभाग के आयुक्त के पास अपील की, जिससे वर्तमान स्थिति उलट गई.

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