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लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ा सचिन पायलट का सियासी कद, अब इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी भेजा बुलावा

Sachin Pilot's Political Stature: लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद सचिन पायलट की बढ़ती स्वीकार्यता की पहली झलक पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि के मौक़े पर दिखी. जहां श्रद्धांजलि सभा में कांग्रेस के आठ सांसद 25 पच्चीस विधायक और 35 से अधिक बड़े नेता शामिल हुए.

लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ा सचिन पायलट का सियासी कद, अब इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी भेजा बुलावा
कांग्रेस नेता सचिन पायलट.

Sachin Pilot's Political Stature: राजस्थान (Rajasthan) के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) का सियासी कद तेजी से बढ़ रहा है. खासकर लोकसभा चुनाव (Lok sabha Results) के नतीजे आने के बाद पायलट की अहमियत और बढ़ गई है. लोकसभा चुनाव 2024 में राजस्थान में कांग्रेस नीत इंडिया गठबंधन ने कुल 25 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की है. इस नतीजे में सचिन पायलट का अहम रोल बताया जा रहा है. पायलट समर्थक कई उम्मीदवारों ने उम्मीद से बढ़कर नतीजे दिए. साथ ही पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasara) के नेतृत्व में बिना शोर-शराबे के कांग्रेस ने भाजपा की जमीन खिसका दी.

लोकसभा चुनाव के नतीजें के बाद अब कांग्रेस के सभी धड़ों और जातियों के नेता पायलट के साथ नज़र आने लगे हैं. 2020 में पायलट-गहलोत के बीच हुए विवाद के समय सचिन पायलट के धुर विरोधी रहे कांग्रेस नेता भी अब उनके समर्थन में दिख रहे हैं. इस बीच इंग्लैंड की प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने सचिन पायलट को निमंत्रण भेजा है. जिसे सचिन पायलट ने स्वीकार कर लिया है. 

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद सचिन पायलट की बढ़ती स्वीकार्यता की पहली झलक पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि के मौक़े पर दिखी. जहां श्रद्धांजलि सभा में कांग्रेस के आठ सांसद 25 पच्चीस विधायक और 35 से अधिक बड़े नेता शामिल हुए. 

राजस्थान के नेता अब पायलट में देख रहे कांग्रेस का भविष्य

दरअसल लोकसभा चुनाव में इस बार राजस्थान में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन सियासी तस्वीर बदल गई है. आठ में से पाँच सांसदों को जिताकर सचिन पायलट ने राजस्थान में खोई हुई अपनी सियासी ज़मीन फिर से हासिल कर है. सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि के मौके राजस्थान कांग्रेस के सभी धड़ों के नेताओं की मौजूदगी ने ये बता कर दिया कि पायलट अब 2020 में हुई सियासी बग़ावत से आगे निकल आए हैं. राजस्थान के नेता अब उन्हीं में राजस्थान कांग्रेस का भविष्य देखने लगे हैं. 

गहलोत अपने बेटे को नहीं जिता सके, पायलट ने 5 सांसद जितवाए 

विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब राजस्थान कांग्रेस नए दौर से गुज़र रही है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस बार गठबंधन के साथ 11 सीट जीतकर मज़बूत विपक्ष के रूप में अपनी ज़ोरदार उपस्थिति दर्ज करवाई है. इस जीत के अलग अलग सियासी मायने हैं और जीत के लिए अलग अलग क्रेडिट भी दिया जा रहा है. लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है की इस बार इस जीत में सचिन पायलट की बड़ी भूमिका हैं. 

कांग्रेस के आठ सांसदों में से पायलट ने जिन नेताओं को टिकट दिलवाया जिनके लिए जमकर प्रचार किया उनमें 5 सांसद जीतकर आए हैं. इन सांसदों में जाट OBC, SC, ST सभी वर्गों के नेता शामिल है. पायलट के इस सियासी क़द की बड़ी वजह ये भी है कि अशोक गहलोत ना केवल अपने गृह ज़िले जोधपुर में कांग्रेस की हार बचा पाये बल्कि जालौर सिरोही से अपने बेटे वैभव गहलोत को सांसद बनाने में भी नाकाम रहे हैं.  

राजस्थान में अब सचिन पायलट केवल गुर्जर जाति के नेता नहीं बल्कि जाट, मीणा, जाटव और कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं ने भी उन्हें अपना नेता मान लिया है.

युवा पीढ़ी पायलट को मान रही राजनीतिक रोल मॉडल

दौसा में सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस के सभी खेमों और जातियों के नेता पायलट के साथ खड़े दिखाई दिए. इन नेताओं में वो नाम शामिल थे जिन्होंने सियासी संकट के समय पायलट का साथ छोड़ दिया था और मज़बूती से अशोक गहलोत कैंप के साथ खड़े रहे थे.

इनमें वो नेता भी थे जिन्होंने पायलट का खुलकर विरोध किया था और इनमें युवा पीढ़ी के वो चेहरे भी हैं जो सचिन पायलट को अपना राजनीतिक रोल मॉडल मानते हैं. इनमें पायलट के साथ बैठी गहलोत सरकार में मंत्री रहीं ममता भूपेश, प्रताप सिंह खाचरियावास और गहलोत ख़ेमे के जाट नेता नरेंद्र बुडानिया और अमीन काग़ज़ी जैसे नेता भी शामिल हैं. 

पायलट का बढ़ता कद बेड रेस्ट कर रहे अशोक गहलोत को परेशान करने वाली

दौसा में आयोजित सर्वधर्म सभा में पायलट के साथ बैठे नेताओं को देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सियासत में वक़्त अच्छा हो और फिर एक विरोधी भी साथ आ जाते हैं. ये तस्वीरें इन दिनों बेड रेस्ट कर रहे अशोक गहलोत को परेशान करने वाली हैं. जानकर मानते हैं कि अशोक गहलोत के लिए ये परेशानी इस लिहाज़ से भी बड़ी है कि ऐसे दौर में जब उनका सियासी करियर ढलान पर हैं तो राजनीतिक तौर पर उनके धुर विरोधी नेता भी अब पायलट के हाथ मज़बूत करने में लगे हैं.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि गहलोत पायलट से इतर भी राजस्थान कांग्रेस कई ख़ेमों में बंटी है. लेकिन इन खेमों के नेता अब ये समझने लगे हैं कि अलग अलग मोर्चों की बजाय एक मोर्चा बनाया जाये ताकि राजस्थान कांग्रेस को गहलोत युग से आगे ले ज़ाया जा सके. और ये भी सच की ये सभी पायलट में अब अपना नया नायक देख रहे हैं.

सचिन पायलट ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में करेंगे युवाओं को संबोधित 

इधर इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट को स्टूडेंट्स और अध्यापकों के विशेष सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया है. पायलट ने इस सत्र के लिए स्वीकृति दे दी है. पायलट 14 जून शाम 6:30 बजे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के संवाद कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. सचिन पायलट रोफेसर आंनदी मणि और माया ट्यूडर की ओर से आयोजित सत्र में युवाओं और अध्यापकों से संवाद करेंगे.

यह भी पढ़ें - राजेश पायलट की पुण्य तिथि पर दिखी राजस्थान की बदलती सियासी तस्वीर, सचिन पायलट खेमे से जुड़ रहे गहलोत समर्थक!

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