
Rajasthan News: राजस्थान से इस साल लगभग मानसून की विदाई हो चुकी है, लेकिन टोंक में मानसून सत्र के हुई 1192 एमएम औसत बरसात का असर कहें कि पंचायती राज सिस्टम की खामी कि आज भी शमशान घाट के रास्तों की राह बड़ी कठिन है. कहीं खुले में अंतिम संस्कार, तो कहीं पानी के बीच से अंतिम शव यात्रा की तस्वीरें चिंता का विषय बन गईं हैं.
टोंक के दूनी तहसील के ग्राम पंचायत जूनिया में श्मशान घाट की दुर्दशा की कुछ ऐसी ही तस्वीरें उस समय देखने को मिलती हैं,जब गांव में किसी की मौत के बाद शव को श्मशान घाट ले जाने के लिए लोगों को पानी से होकर गुजरना पड़ता है.
घुटनों तक भरे पानी से गुजरना पड़ रहा है
आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी यहां के ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए घुटनों तक भरे पानी से गुजरना पड़ रहा है. गांव में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई, जिसके बाद ग्रामीणों को शव को पानी से होकर श्मशान तक ले जाना पड़ा. न केवल शव को ले जाना मुश्किल हुआ, बल्कि दाह संस्कार के लिए लकड़ियों से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली भी कीचड़ और गड्ढों में फंस गई.
मौसम में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार प्रशासन को पानी की निकासी और श्मशान घाट के समुचित विकास की मांग को लेकर अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. हर बारिश के मौसम में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है. ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस दिशा में कदम उठाए, ताकि उन्हें अपने परिजनों की अंतिम विदाई सम्मानपूर्वक करने का अधिकार मिल सके.
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