Rajasthan: राजस्थान के भरतपुर में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. 10 साल से पिंडदान कर रहे एक परिवार का सदस्य अचानक जिंदा पाया गया है. मामला भरतपुर के अपना घर आश्रम का है, जहां यूपी के दशरथ 10 साल से रह रहे थे. उनके परिवार के लोग हर साल उनका पिंडदान करते आ रहे थे. लेकिन शनिवार को अचानक परिवार को दशरथ के जिंदा होने की खबर मिली, जिससे घर में खुशियां छा गईं.
10 साल बाद भाई को जिंदा देख बहन के छलके आंसू
दशरथ उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के अमलोहरा गांव के रहने वाले हैं. जब परिवार को उनके जिंदा होने की खबर मिली तो वे अमलोहरा से सीधे भरतपुर स्थित अपना आश्रम पहुंचे, जहां दशरथ को देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. दशरथ की बहन सियारानी ने जब 10 साल बाद अपने भाई को देखा तो उनकी आंखों से आंसू छलक आए और उन्होंने अपने भाई को गले लगा लिया.
10 साल पहले घर से अचानक हुआ था गायब
सियारानी ने बताया कि 10 साल पहले दशरथ गांव से कुछ दूरी पर स्थित ईंट भट्ठे पर मजदूरी करता था. लेकिन कुछ समय बाद मानसिक बीमारी के चलते एक दिन वह अचानक बिना किसी को बताए घर से निकल गया. परिजनों ने उसकी काफी तलाश की लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला तो उन्होंने उसे मृत मानकर उसकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर दिया. जब दशरथ घर से निकला था तो उसके दोनों हाथ सही सलामत थे लेकिन अब नहीं हैं. आशंका है कि वह किसी हादसे का शिकार हुआ होगा जिसके चलते हाथ की हथेलियां कट गई हैं.
दशरथ के पत्नी सहित तीन बच्चे है
परिवार के अन्य सदस्यों ने बताया कि दशरथ के पत्नी सहित तीन बच्चे है. जिनमें दो बेटे और एक बेटी है. इनमें से छोटे बेटे की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई.वही एक बेटा - बेटी और इनकी पत्नी इन्हीं के छोट भाई के साथ रहते है.
गांव के प्रधान ने दशरथ के जिंदा होने की दी थी सूचना
परिजनों ने बताया कि गांव के प्रधान ने उन्हें दशरथ के जिंदा होने की सूचना दी थी. पहले तो उन्हें लगा कि यह मजाक है लेकिन जब प्रधान ने उन्हें पूरी कहानी बताई तो उन्हें माजरा समझ में आ गया. इसके बाद शनिवार को परिजन दशरथ से मिलने अपना घर आश्रम पहुंचे. 10 साल पहले मृत मान लिए गए दशरथ को अपने सामने जिंदा खड़ा देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
'अपना घर आश्रम' में इलाज के लिए किया था भर्ती
बता दें कि अपना घर के लोगों ने बताया कि 15 सितंबर 2024 को दशरथ को मुजफ्फरनगर के शुक्रताल से भरतपुर के 'अपना घर आश्रम' में सेवा और उपचार के लिए भर्ती कराया गया था. जब उसकी तबीयत में सुधार हुआ तो उसने अपना पता बताया और आश्रम की पुनर्वास टीम के जरिए उसके घर सूचना भेजी गई.
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