Lok Sabha Elections 2024: राजस्थान की सबसे बड़ी संसदीय सीट बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट (Barmer-Jaisalmer) पर मुकाबला भी सबसे रोमांचक हो गया है. बाड़मेर क्षेत्र में भाजपा से बागी होकर शिव से निर्दलीय विधायक बने रविन्द्र सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati) ने लोकसभा चुनाव में निर्दलीय के तौर पर ताल ठोक दी है. जिससे इस सीट की गूंज जयपुर-दिल्ली तक पहुंच गई है. लोकसभा चुनावों में त्रिकोणीय संघर्ष ने एक बार फिर 2014 के चुनावों की यादें ताजा कर दी है. भाजपा ने एक बार फिर वर्तमान सांसद व मंत्री कैलाश चौधरी (Kailash Chaudhary) पर भरोसा जताया है तो वहीं RLP छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए उम्मेदाराम बेनीवाल (Ummeda Ram Beniwal) को टिकट देकर कांग्रेस ने मास्टर स्ट्रॉक खेल दिया है. लेकिन इन सबके बीच अब राजनितिक गलियारों में कांग्रेस में भीतरघात की चर्चाए भी शुरु हो गई. हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं कर रहा है.
लेकिन लोकसभा चुनाव के बीच प्रचार अभियान छोड़कर बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर दबदबा रखने वाले कद्दावर मुस्लिम कांग्रेसी नेता विदेश चले गए है. ये लोग चुनाव प्रचार अभियान से भी दूरी बनाकर चल रहे हैं. चुनाव के बीच इन नेताओं के विदेश यात्रा पर जाना इन कयासों और अटकलो को बल दे रहा है.
बाड़मेर में कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाजी
राजस्थान में भाजपा के मिशन 25 को रोकने के लिए कांग्रेस ने अपना लक्ष्य बाड़मेर जैसलमेर सीट को बनाया है. प्रदेश भर के कांग्रेसी नेता इस सीट पर जीत के लिए तमाम जतन कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी यह सीट किसी भी कीमत पर जीतना चाहती है, जो मुस्लिम वोटर्स के बिना सम्भव नहीं है. कांग्रेस ने बेनीवाल को कांग्रेस की टिकट देकर अपना मास्टर स्ट्रोक खेलने के साथ ही तमाम जतन भी किए है लेकिन कांग्रेस के नेताओं की आपसी गुटबाजी व वर्चस्व की लड़ाई अब तक जारी है, हालांकि पार्टी सुलह के प्रयास कर रही है.
अमीन खान कांग्रेस से नाराज
बाड़मेर के शिव से पूर्व विधायक व मंत्री रह चुके अमीन खान (Amin Khan) विधानसभा चुनाव में बागी हो कर कांग्रेस को हराने वाले नेताओं की कांग्रेस में हुई घर वापसी से नाराज हो गए हैं. उन्होंने बीते दिनों सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी नाराजगी जताई थी. अमीन खान ने साफ लिखा था कि मुस्लिम कौम हमेशा से कांग्रेस के साथ रही है. लेकिन अब उन्हें ठगा जा रहा है. इसी एक मुद्दे पर किसी भी कांग्रेसी सांसद द्वारा विरोध ना करने की बात को लेकर भी उनमें काफी रोष था, जिसके बारे में उन्होंने बयान भी दिए.
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पार्टी सूत्रों ने बताया कि पूर्व विधायक अमीन खां शिव से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले फतेह खां को पार्टी में शामिल करने के बाद से नाराज हैं. उनके कई समर्थक रविंद्र सिंह भाटी के पक्ष में खुलकर आ गए हैं. इन सब राजनीतिक घटनाक्रम के बीच अमीन खान चुनाव प्रचार छोड़ अचानक धार्मिक यात्रा पर विदेश चले गए हैं.
सालेह मोहम्मद के भाई अमरदीन फकीर भी गए विदेश
अमीन खान के साथ-साथ सिंधी मुस्लिम समाज के धर्मगुरु व कांग्रेस के कद्दावर नेता सालेह मोहम्मद के छोटे भाई अमरदीन फकीर (Amardeen Fakir) भी विदेश यात्रा पर चले गए हैं. अमरदीन फकीर ने बीते दिनों उमेदाराम के पक्ष में वोटिंग की अपील की थी. कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के बाद जैसलमेर विधानसभा में हुए कार्यकर्ता सम्मेलन में अमरदीन फकीर ने उम्मेदाराम को जैसलमेर से आगे रखने की बात कही थी. लेकिन अब चुनाव प्रचार के समय जब कांग्रेस को इन दोनों नेताओं की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब वो मक्का-मदीना की यात्रा पर चले गए हैं.
बाड़मेर लोकसभा सीट में आने वाले जैसलमेर के मुस्लिम कौम में प्रभाव रखने वाले ये दोनों मुस्लिम नेता कब पार्टी के चुनाव प्रचार में हिस्सा लेंगे? इसकी जानकारी फिलहाल किसी के पास नहीं है.
सालेह मोहम्मद बाड़मेर छोड़ जोधपुर में सक्रिय
दूसरी ओर सिंधी मुस्लिम समाज के धर्मगुरु सालेह मोहम्मद बाड़मेर छोड़ जोधपुर लोकसभा सीट पर एक्टिव नजर आ रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन रैली में भी हिस्सा लिया था. लेकिन बाड़मेर जैसलमेर सीट पर उनका दबदबा होने के बावजूद उनका व उनके परिवार का नदारद होना सवाल खड़े करने लगा है. सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे है कि जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मंत्री सालेह मोहम्मद और पूर्व विधायक रूपाराम धनदे के बीच वर्चस्व की लड़ाई खत्म नहीं हुई है. जिससे अब भीतर घात के कयासों को लगातार बल मिल रहा है.
कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदाराम बेनीवाल की नामांकन रैली में भाजपा के मुकाबले ज्यादा भीड़ जुटाकर भले ही खुश हो रही हो, लेकिन पार्टी के बेड़े में विधानसभा चुनावों से नेताओं के बीच चली आ रही गुटबाजी की भीतरघात की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा रहा है. वही सबसे बड़ा सवाल यही है कि लोकसभा चुनाव के बीच पार्टी के नेता चुनाव प्रचार छोड़ कद्दावर मुस्लिम नेता विदेश धार्मिक यात्रा पर क्यों गए है?
दो दिन पहले ही दोनों को दी गई थी बड़ी जिम्मेदारी
इन नेताओं के बाड़मेर जैसलमेर सीट पर नदारद होने के बाद कांग्रेस में एक बार फिर असंतोष की अटकलें शुरू हो गई हैं. जबकि पार्टी ने पिछले दिनों जिले में कांग्रेस की गुटबाजी को खत्म करने के लिए पूर्व प्रधान अमरदीन को दो दिन पहले पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था. वहीं यह फार्मूला बाड़मेर में भी लागू किया गया था. लेकिन अमीन खां बाहर चले गए. अब देखने की बात तो यह होगी कि कांग्रेस इन नेताओं के बींच सुलह करवाकर बाड़मेर जैसलमेर सीट पर जातीय समीकरण बिठाते हुए कांग्रेस प्रत्याशी को वोट दिला पाएगी या फिर नेताओं की गुटबाजी को खत्म करवाने सारे जतन विफल हो जाएंगे.
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