Anil Kumble Birthday Special: 1001 विकेट... ये वो रिकॉर्ड है जिसे तोड़ना हर भारतीय बॉलर का सपना तो है लेकिन हकीकत कब बनेगा कुछ कहा नहीं जा सकता. इस विराट कीर्तिमान को बनाया है महान लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने. अनिल कुंबले आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं. जंबो के नाम से मशहूर कुंबले ने अपने क्रिकेट करियर में कई ऐसी यादगार पारियां खेली, कई ऐसे खतरनाक स्पैल डाले, जिसे यादकर आज भी क्रिकेट फैंस रोमांचित हो उठते हैं. अनिल कुंबले के जन्मदिन पर पढ़िए आखिर कैसे एक इंजीनियर इतना बड़ा क्रिकेटर बन गया है.
अनिल कुंबलेः 17 अक्टूबर 1970 को बेंगलुरु में जन्म
भारत में जब भी लेग स्पिन की बात करते है, तो सबकी जुबान पर बस एक ही नाम आता है और वह नाम है अनिल कुंबले. 17 अक्टूबर 1970 को बेंगलुरु में जन्में अनिल कुंबले ने स्पिन के इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ दिया. इनसे पहले जब भी कोई लेग स्पिन की बात करता तो उनकी निगाह बास शेन वार्न पर जाती थी, लेकिन थोड़े ही समय में कुंबले ने लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया और एक नया कीर्तिमान अपने नाम कर लिया.
वार्न और मुरली के सामान थे कुंबेल
कुंबले की गेंदों में हर चीज परंपरा से उलट थी. गेंदों में तेजी ऐसी थी कि एक बार पाकिस्तान के कप्तान इंजमाम उल हक ने कहा था "हमारी टीम कुंबले को एक मीडियम पेसर मानकर ही खेलने वाली है. कुंबले वार्न की तरह हर पिच पर टर्न नहीं करा सकते थे, लेकिन अपनी घरेलू परिस्थितियों में शायद उनसे खतरनाक कोई नहीं था. इसी वजह से एक बार एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने कहा था "वार्न और मुरली दोनों बड़े स्पिनर हैं, लेकिन अनिल कुंबले अपने अनुकूल हालातों में सबसे खतरनाक हैं."
गति और उछाल से करते थे बल्लेबाज को परेशान
आपके मन में भी सवाल होगा की अनिल कुंबेल की कई गेंद अक्सर सीधी जाती थी, गेंद घूमती भी कम थी, फिर खास क्या था? लेकिन कुंबले में खास बात यह थी कि उनकी गेंदों में टर्न से ज्यादा गति और उछाल होती थी जिससे हर कोई उनको नहीं खेल पाता था.
वहीं अगर पिच से टर्न मिल गया तो उनकी गुगली नचाती थी और स्पिन से ज्यादा कई बार उनकी फ्लिपर बल्लेबाजों को सताती थी. बहुत से धुरंधर इनकी इस फ्लिपर पर एलबीडब्ल्यू हुए थे. कुंबले जब रन-अप के अंतिम समय जो उछाल लेते थे, उसी वजह से उनकी गेंदों को अप्रत्याशित उछाल मिलता था. वह 'जंबों' के नाम से मशहूर हुए थे.
टूटे जबड़े से किया ब्रायन लारा को आउट
कुंबले ने अपने क्रिकेट से अलविदा बोल दिया लेकिन उनका यह अनुशासन, प्रतिबद्धता, ईमानदारी संन्यास के बाद भी मौजूद रहे. वह गेंदबाजी में ऐसे ही व्यक्तित्व रहे जैसे बल्लेबाज में राहुल द्रविड़ थे. कुंबेल के इस शानदार सफर में सबसे चर्चित और यादगार प्रदर्शन जब हुआ तब उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ एक ही पारी में 10 विकेट ले लिए थे.
1999 में फरवरी के महीने में दिल्ली के फिरोज शाह कोटला में वह मुकाबला हुआ था. 90 के दशक के बच्चों के लिए यह कुंबले का अनमोल तोहफा है. ऐसे ही एक और चीज बड़ी याद आती है. जब साल 2002 के भारत के वेस्टइंडीज दौरे पर उनका जबड़ा टूट गया था. इसके बाद उन्होंने सिर पर पट्टी बांधी और गेंदबाजी शुरू कर दी. इस मैच में वह ज्यादा कुछ नहीं कर पाए लेकिन उन्होंने ब्रायन लारा को आउट कर दिया था, वह बड़ा यादगार पल था.
टेस्ट में लिए थे 619 विकेट
अपने करियर के अंतिम दिनों में कुंबेल ने विदेशी धरती पर विकेट लेने शुरू कर दिए थे, तब उन्होंने एक स्लो गुगली गेंद विकसित की थी. वही उस गुगली पर ग्रांट फ्लावर का गच्चा खाना पुराने खेल प्रेमियों को आज भी रोमांचित कर देता है. कुंबेल दो महानतम स्पिनर शेन वार्न और मुथैया मुरलीधरन के समकालीन थे.
तीनों के आंकड़े फैंस को उलझा सकते हैं, क्योंकि इनमें सबसे कम टेस्ट विकेट कुंबले के ही नाम थे लेकिन उनके नाम टेस्ट में भी 619 विकेट हैं. इसके साथ ही कुंबेल के ओडीआई (ODI) में 377 और आईपीएल (IPL) में 45 विकेट है. तीनों फॉर्मैट को मिलाकर उनके 1001 विकेट है. इनके इस रिकार्ड को शायद ही कभी भारत का कोई गेंदबाज तोड़ पाएगा. कुछ ऐसा था महान स्पिनरों का वह दौर.
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