
Rajasthan News: काली उड़द दाल भारतीय रसोई की शान है. यह न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है बल्कि सेहत के लिए भी वरदान है. इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी-6, आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. यह दाल ऊर्जा बढ़ाने, पाचन सुधारने और शरीर को तंदुरुस्त रखने में मदद करती है. भारत सरकार के आयुष मंत्रालय भी इसे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद मानता है.
दिल और दिमाग को रखे स्वस्थ
काली उड़द में मौजूद मैग्नीशियम और पोटैशियम दिल को मजबूत करते हैं और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखते हैं. यह तनाव व चिंता को कम कर तंत्रिका तंत्र को बेहतर बनाती है. फाइबर से भरपूर यह दाल पाचन तंत्र को दुरुस्त रखती है और कब्ज की समस्या से छुटकारा दिलाती है. यह चयापचय को तेज कर दिनभर ऊर्जा बनाए रखती है.
आयुर्वेद में खास स्थान
आयुर्वेद में काली उड़द को औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है. इसकी ठंडी तासीर सिरदर्द, नकसीर, जोड़ों के दर्द, लिवर की सूजन, अल्सर और बुखार जैसी समस्याओं में राहत देती है. यह सूजन कम करती है, प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है और किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करती है. यह शरीर से अतिरिक्त पानी और विषाक्त पदार्थ निकालकर डिटॉक्स का काम करती है.
हड्डियों और मांसपेशियों की ताकत
कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर काली उड़द हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाती है. यह बुजुर्गों और बच्चों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है.
सावधानी और स्वाद का संगम
काली उड़द को दाल, खिचड़ी, वड़ा, डोसा या पापड़ के रूप में खाया जा सकता है. हल्के मसाले और घी के साथ पकाने से इसका स्वाद और पोषण बढ़ता है. हालांकि, अधिक सेवन से पेट फूलना या अपच हो सकता है. इसलिए इसे संतुलित मात्रा में खाएं.
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