
Gambhir River: करौली में लोग दिन रात पहरेदारी कर 'गंभीर' नदी के पानी को गांव तक ला रहे हैं. रूपबास उपखंड के कई गांवों के लोग JCB के सहयोग से खुद के हाथों से फावड़ा चलाकर पानी का रास्ता बना रहे हैं. ग्रामीणों को मानना है कि 1996 के बाद यह पानी मिला है. इस पानी से जल स्तर बढ़ने के साथ फसलों के लिए काफी फायदा मिलेगा.
'गंभीर' नदी की कर रहे पहरेदारी
करौली के पांचना बांध से छोड़ा गया 'गंभीर' नदी में पानी बयाना होते हुए खानवा पहुंचा है. यहां भी पानी की अधिक आवक के चलते उसे आगे निकाला जा रहा है. लेकिन, इसी बीच लोग पानी की निकासी का विरोध करने की बजाय अपने-अपने गांव तक लाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं. यह गांव रूपवास उपखंड के अंतर्गत आने वाले नगला ओदी, जोगीपुरा, खिजूरी, पसोड़ा, गढ़ी और बुराना आदि ऐसे गांव हैं, जहां के लोग JCB मशीनों के सहयोग के साथ खुद हाथों से फावड़ा चलाकर पानी का रास्ता बनाकर गांव तक पानी ला रहे हैं, साथ ही जहां से पानी गांव तक पहुंच रहा है. वहां पहरेदारी भी कर रहे हैं. कहीं दूसरे गांव का व्यक्ति पानी को ना रोक दें.
साल 1996 के बाद गांवों में आया पानी
ग्रामीणों का कहना है कि सन 1996 में इन गांवों में पानी आया था, इसके बाद यहां पानी नहीं आया. कम बारिश की वजह से पानी का जलस्तर काफी नीचे चला गया. लोगों को खेती करने में परेशानी हो रही थी. करीब 28 साल बाद पानी आया है. इस पानी को अन्य दूसरी जगह व्यर्थ जाने से अच्छा है कि अपने गांव के लेकर आएं, जिससे वहां का जल स्तर बढ़ सके.
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